तर्पण

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** पितृ पक्ष विशेष…… तर्पण करते हैं सभी,लेकर जौ तिल हाथ।करते हैं सब प्रार्थना,जाते मानव साथ॥ करे स्नान जल्दी सभी,देते हाथों नीर।मीठे मेवा को बना,भोग लगाते खीर॥ अर्पण करते नीर हैं,करते हैं जब याद।मनोकामना पूर्ण से,पाते आशीर्वाद॥ आते पूर्वज साल में,ले कागा का रूप।होती मन में है खुशी,लगता रूप अनूप॥ … Read more

बेटी है उजियार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* बेटी तो कोमल कली,बेटी तो तलवार।बेटी सचमुच धैर्य है,बेटी तो अंगार॥ बेटी है संवेदना,बेटी है आवेश।बेटी तो है लौह सम,बेटी भावावेश॥ बेटी कर्मठता लिये,रचे नवल अध्यायबेटी चोखे सार का,है हरदम अभिप्राय॥ बेटी में करुणा बसी,बेटी में है धर्म।बेटी नित माँ-बाप प्रति,करती पूरा कर्म॥ बेटी तो ममतामयी,पर वीरों की वीर।हर लेती … Read more

सुलगे प्रीत उमंग

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)****************************************** श्रंगार रस…. तन भीगा बरसात में,सुलगे प्रीत उमंग।सजनी तेरी चाह में,हिय में उठे तरंग॥ शीतल पुरवाई चले,रिमझिम गिरे फुहार।याद बहुत आई प्रिये,पायल की झनकार॥ ठिठुरन-सी है देह में,छन्द नहीं कुछ गेय।जो तुम होती पास में,गर्म पिलाती पेय॥ भरती मन में ऊष्णता,पा कर तेरा दर्श।रोम-रोम खिलते प्रिये,दैहिक मिलता स्पर्श॥ सुखद बात करते प्रिये,हँसते खिलती … Read more

धन्यवाद ज्ञापन पितर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** पितृ पक्ष विशेष….. पावन मंगल भोर यह,पितृपक्ष जलदान।तर्पण अर्पण पितर का,पुण्य अर्घ्य दें मान॥ पितरों को श्रद्धा प्रकट,तील कुश फलदान।पाऍं आशीर्वाद को,देकर कुल सम्मान॥ पितरों को करने मुदित,तर्पण करें प्रणाम।पिण्ड श्राद्ध करते तनय,पितृपक्ष अविराम॥ शास्त्रों में महिमा विदित,तर्पण पितृ महत्व।पितर स्वयं आते धरा,दे आशीष ममत्व॥ काश तील जौ द्रव्य … Read more

प्रकृति

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** झरने की आवाज से,होता जग में शोर।पक्षी गाते गीत हैं,होता है जब भोर॥ सुंदर-सी साड़ी पहन,बैठी गोरी आज।मन उसका क्यों शांत है,करे नहीं कुछ काज॥ खनकती चूड़ी हाथ में,दिखे होंठ भी लाल।नयनों में काजल लगे,लम्बे उनके बाल॥ हरियाली चहुँओर है,बहती झरने धार।कितना सुंदर दृश्य है,गोरी करती प्यार॥ पैरों में … Read more

गणेश वन्दना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************* पद सरोज श्रद्धा नमन,करूँ गजानन आज।उमातनय परमेश कुरु,स्वस्ति लोक गणराज॥ गणनायक पूजन करुँ,हे अच्युत विघ्नेश।गजमुख वरदायक नमन,लम्बोदर बुद्धेश॥ एकदन्त गिरिजा तनय,शरणागत करुणेश।रक्ताम्बर शुभ गात्र प्रभु,गौरीनन्द गणेश॥ मंगलेश गौरीतनय,गणनायक बुद्धीश।वाहन मूषिकराज है,जगपालक जगदीश॥ पंचदेव में पूज्य हो,गणभूतों के नाथ।सकल मनोरथ पूर्ण कर,बुद्धि विधाता साथ॥ हे गणेश सानंद कर,नित सुखमय संसार।दे … Read more

हिन्दी हितकर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** हिन्दी हितकर है सदा,हिन्दी है अभियान।हिन्दी में तो आन है,हिन्दी में है शान॥ हिन्दी सदा विशिष्ट है,हिन्दी है उत्कृष्ट।हिन्दी अपनाएँ सभी,होकर के आकृष्ट॥ कला और साहित्य है,पूर्ण करे अरमान।हिन्दी में है उच्चता, ‘शरद’ सभी लें मान॥ हिन्दी का उत्थान हो,हिंदी मंगलगान।हिन्दी का सम्मान हो,हिन्दी का गुणगान॥ हिन्दी तो समृध्द है,हिन्दी … Read more

पैसों की बेबसी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************** पैसों का नित जंग है,पैसा ही नवरंग।रिश्ते-नाते मान यश,बिन पैसे बदरंग॥ पैसे ही ऊँचाइयाँ,पैसा ही सम्मान।पैसों के महफ़िल सजे,पैसा ही भगवान॥ पैसों पर शिक्षा टिकी,पैसों पर रोज़गार।हो समाज में हैसियत,रिश्तों का आधार॥ नीचे से संसद तलक,बस पैसों का खेल।आजीवन हर काम में,पैसों का गठमेल॥ रोज-रोज का झूठ छल,राग-द्वेष अपमान।बस … Read more

महादेवी

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)****************************************** छायावादी काल में,हुए चार कवि स्तंभ।महा महादेवी हुई,एक प्रमुख थी खंभ॥ सन उन्नीस सौ सात में,माह मार्च छब्बीस।जन्म फर्रुखाबाद में,फलित कृपा जगदीश॥ इन्हें आधुनिक काल की,मीरा कह उपनाम।करे प्रशंसा लोग सब,किए काव्य हितकाम॥ कहे निराला जी बहिन,सरस्वती नव नाम।भाई सम रखती उन्हें,विपदा में कर थाम॥ उपन्यास लिखती कभी,कथा कहानी गीत।नारायण वर्मा सुजन,पति साथी … Read more

संभव

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* सब संभव संसार में,बदले जन हैं वेश।अपने मतलब के लिए,शोषित करते देश॥ संभावित परिणाम से,हुआ हृदय बेचैन।विफल भाव आभास से,आँसू बरसे नैन॥ मन छोटा करना नहीं,है संभव सब काज।नियमित कर अभ्यास तू,मिले सफलता आज॥ नेकी करने जो चला,वही बना अनजान।कलियुग में संभव कहाँ,माने जन अहसान॥ नित्य बड़ो का मान रख,कर संभव … Read more