भज रे मन श्रीकृष्ण को

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ***************************************** जन्माष्टमी विशेष…… नारायण कारा जनम,लिया कंस संहार।असुर कर्म आतंक से,मुक्त किया संसार॥ नारायण अनुराग मन,पूत देवकी गेह।भाद्र मास तिथि अष्टमी,वासुदेव नर देह॥ कृष्ण अमावश कालिमा,जात कृष्ण अभिराम।कालिन्दी दे सुगम पथ,नंदलाल सुखधाम॥ लीलाधर षोडश कला,वासुदेव रच रास।मिल राधा अठखेलियाँ,कर नटवर उल्लास॥ पीताम्बर घन श्याम तनु,मोरमुकुट नित भाल।सुन्दरतम आनंदकर,यशुमति के गोपाल॥ … Read more

कृष्ण-लीला

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************** धर्म,नीति का सार थे,राधा के गोपाल।उनके कारण धन्य है,द्वापर का वह काल॥ बचपन से करते रहे,लीलाएँ घनश्याम।नहीं हुई तब ही कभी,सत्य,न्याय की शाम नटनागर का रूप है,सचमुच में कुछ ख़ास।बचपन से देते रहे,सबको वे आभास॥ माखन खाकर बन गए,गिरिधर तो ख़ुद चोर।यह लीला रोचक रही,नाचा मन का मोर॥ पराभूत कर … Read more

राखी के रंग

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************** रक्षाबंधन विशेष………. धागा हर्षाने लगा,होकर के मजबूत।भाई के कर में बँधा,बहना है अभिभूत॥ खुशियाँ नाचीं आँगना,चहके मंगलगीत।हर घर में निभती दिखी,बहुत पुरानी रीत॥ राखी की फैली महक,अहसासों से प्यार।भाई है परदेश में,खुशबू सीमा पार॥ हरकारा लगता भला,लाएगा संदेश।राखी,रोली,आरती,हरने लगे कलेश॥ जीवन अब गतिशील है,लगे खुशी को पाँव।एक बार फिर से … Read more

डोर से बँधा हुआ प्यार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रक्षाबंधन विशेष…….. रेशम की इक डोर से,बँधा हुआ है प्यार।कर देता खुशहाल है,राखी का त्यौहार॥ रक्षाबंधन पर्व पर,छाए खुशी बहार।भाई देता है सदा,बहना को उपहार॥ आया पावन पर्व है,रिश्ते हो मजबूत।भाई-बहना में बढ़े,पावन नेह अकूत॥ सजे कलाई भ्रात की,रेशम की इक डोर।सदा सुरक्षित ही रहे,बहना की हर भोर॥ रक्षा का संकल्प … Read more

नमन करें शत् बार

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. चलो मनाएँ साथियों,आजादी त्यौहार।वीरों की क़ुर्बानियाँ,नमन करें शत् बार॥ ध्वज लहरें आकाश में,रहें तिरंगा शान।भारत की महिमा बड़ी,जय हो हिंदुस्तान॥ मान बढ़े अरमान भी,प्यारा भारत वर्ष।जन-गण-मन की गूँज हो,रहे सभी में हर्ष॥ जश्न मने स्वाधीनता,हँसी खुशी उल्लास।आजादी का पर्व यह,चलो बनायें खास॥ रहें वतन … Read more

सावन की शिवरात्रि

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** मासों में अतिरम्य है,श्रावण घटा फुहार।कांवरियों से खुशनुमा,भक्ति प्रीति उपहार॥ काले रंगों में डुबा,नीलाम्बर घनश्याम मम।इन्द्रधनुष लज्जित हुआ,देख वसन अभिराम॥ कृषकवृन्द हैं मुदित मन,शस्य श्यामला खेत।धान पौध रोपण धरा,सावन शिव संकेत॥ नव पल्लव पादप कुसुम,तज सूखा अवसाद।चख रसाल स्वादिष्ट तरु,कोकिल करे निनाद॥ वसुधानन कुसुमित खिला,सावन मास सुवास।शिव शंकर जन … Read more

मित्र

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ सुख-दु:ख के साथी सदा,बचपन के वो यार।खेल खेलते साथ में,लगते अनुपम प्यार॥ मिलते हैं जब मित्र से,करते रहते बात।बात खत्म होती नहीं,बीते सारी रात।। हरकत बचपन की हमें,रह जाती है याद।बैठे सारे साथ में,याद बढ़ाती स्वाद॥ ऐसे मित्र बनाइये,हो उस पर विश्वास।सुख-दु:ख सबको बाँटते,होता है वह खास॥ मोबाइल जब … Read more

नमन शहीदों

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************************** बार-बार भी हारकर,पाकी नहीं सुधार।पीछे से फिर कारगिल,आतंकी सह वार॥ सियाचिन अरु ग्लेशियर ,पाक न आया बाज़।गद्दारी की पाक ने,नीचे थे जांबाज॥ काँप रहे थे गात्र जब,जीरो नीचे ठंड।आतंकी सेना चढ़ी,भारत करने खण्ड॥ चली बसें सद्भावना,भारत से लाहौर।बदले में घुसपैठ कर,पाक दिया झकझोर॥ जागी सेना वतन की,भृकुटि तान अभिमान।छूट … Read more

द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तुति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** सोमनाथ सौराष्ट्र में,करुणाकर अवतार।चारु चन्द्र धर शिखर शिव,गंगाधर संसार॥ उच्च शिखर श्रीशैल पर,प्रमुदित देव निवास।पूज्य मल्लिकार्जुन सदा,बाघम्बर कैलास॥ अकाल मरण रक्षक प्रभु,मोक्ष प्रदाता सन्त।महाकाल उज्जैन में,महिमा नमन अनंत॥ कावेरी नर्मद मिलन,पावन निर्मल धार।करुणाकर ओंकार जग,भवसागर हो पार॥ चिताभूमि पूर्वोत्तरी,सदा वास गिरिजेश।देवासुर पूजित सदा,बैद्यनाथ परमेश॥ कंठहार नागेश शिव, दक्षिण क्षेत्र … Read more

झूला

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ आया सावन झूम के,भीगे तन-मन आज।झूला झूले पेड़ पर,कर के नारी साज॥ बिजली चमके जोर से,घिरे घटा घनघोर।पँख फैला कर नाचते,वन में सारे मोर॥ रिमझिम-रिमझिम बारिशें,करती है संगीत।सजनी झूला झूलती,होती है यह रीत॥ गिरे मूसलाधार जब,लगे हाल बेहाल।झूले सखियाँ मिल सभी,बाँधे पेड़ों डाल॥ भीगे मौसम है यहाँ,भीगे से बरसात।साजन … Read more