पथिक

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** पथिक- चलते-चलते तुम पथिक,राह न जाना भूल। सत्य मार्ग पर चल सदा,बन कर सुन्दर फूल॥ सहयोग- बड़े-बड़े से काम भी,होते हैं संजोग। मिलकर…

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प्यार मुहब्बत से रहो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************************** देश हमारा एक है,जिसका भारत नाम। प्यार मुहब्बत से रहो,नफरत का क्या काम॥ डर ही तो है आपका,कुछ का कारोबार। दुनिया यारों…

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नारी का देवत्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** नारी सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार। प्रेम-नेह का दीप ले,हर लेती अँधियार॥ पीड़ा,ग़म में भी रखे,अधरों पर मुस्कान। इसीलिये तो नार है,आन,बान…

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राग रंग है हर तरफ

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** होली- होली की अब धूम है,खेले राधे श्याम। बरसाना की कुंज में,ग्वाल बाल बलराम॥ रँगीला- श्याम रँगीला साँवरा,राधा रानी संग। भर पिचकारी मारते,भीगे…

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रंग प्रीत के

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** रंग प्रीत के डाल के,मले गुलाली माथ। खेल रहे होली यहाँ,राधा मोहन साथ॥ बरसाना में धूम हैं,नाच रहे सब ग्वाल। गोप गोपियाँ मल…

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फागुन के रंग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मुदित श्याम सुंदर वदन,दर्शन मन अभिलास। मुरली कान्हा हाथ में,खड़ी राधिका पासll कान्हा रंगरसिया बने,ले पिचकारी हाथ। गोप गोपियाँ साथ में,खेले राधानाथll भींगे…

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साजन

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** साजन से सजनी कहे,मिलने को बेताब। मन मेरा लगता नहीं,देखे सुन्दर ख्वाब॥ आया मौसम प्यार का,बिखरे रंग अनेक। साजन प्यारा है लगे,वो लाखों…

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होली

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** रंगों के सँग खेलती,एक नवल-सी आसl मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वासll लगे गुलाबी ठंड पर,आतपमय जज़्बातl प्रिये-मिलन के काल में,यादें सारी रातll…

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झूठ हँस रहा आज

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** सच्चाई रोने लगी,झूठ हँस रहा आज। दर्पण में वह अक्स है,जैसा दिखे समाजll कानूनों को रोंदकर,आगे बढ़ता काल। शांति नहीं,हैं आजकल,रोज़ नये जंजालll बहकावे…

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मचल रही मनमीत मैं

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** रिमझिम-रिमझिम बारिशें,भीगे-भीगे नैन। मचल रही मनमीत मैं,आलिंगन निशि रैन॥ मंद-मंद शीतल पवन,हल्की मीठी धूप। लहराती ये वेणियाँ,चन्द्रमुखी प्रिय रूप॥ काया नव किसलय समा,गाल…

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