प्रियतम मेरे आ मिलो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************************** रात सुहानी चाँदनी,सबके मन को भाय।शीतल मंद समीर में,लगे हिया हरषायll तारों से जगमग धरा,धवल ज्योत्सना रंग।ऐसे में खुश रागिनी,पाकर पिय का संगll शरद पूर्णिमा चाँदनी,रजनी भी सुनसान।प्रियतम मेरे आ मिलो,तुम हो मेरी जानll सागर की लहरें चले,देख चाँद के पार।मिलने की चाहत लिए,पाने को वह प्यारll गहन तिमिर रातें … Read more

हो बेटी निर्बाध

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* देखो कलियुग कालिमा,फैला है व्यभिचार।निशिदिन मरती बेटियाँ,लाचारी सरकारll लव ज़िहाद के नाम पर,परिवर्तन नित धर्म।फाँस रहे मासूम को,प्यार नाम दुष्कर्मll भोली-भाली बेटियाँ,फँसती झूठा प्यार।बेच रही निज अस्मिता,धोखा हत्या हारll अद्भुत है निर्लज्जता,असंवेदित भाव।पागलपन हिंसक प्रकृति,खल कामी दे घावll मति विवेक चिन्तन विरत,पशुता है आचार।निर्भय हैं वे मौत से,आदत से … Read more

हो विजया मानव जगत्

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** सकल मनोरथ पूर्ण हो,सिद्धदातृ मन पूज।सुख वैभव मुस्कान मुख,खुशियाँ न हो दूजll सिद्धिदातृ जगदम्बिके,माँ हैं करुणागार।मिटे समागत आपदा,जीवन हो उद्धारll सिंह वाहिनी खड्गिनी,महिमा अपरम्पार।माँ दुर्गा नवरूप में,शक्ति प्रीति अवतारll खल मद दानव घातिनी,करे भक्त कल्याण।कर धर्म शान्ति स्थापना,सब पापों से त्राणll श्रद्धा मन पूजन करे,माँ गौरी अविराम।रिद्धि-सिद्धि अभिलाष जो,पूरा … Read more

माप तौल कर बोल

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** (रचना शिल्प:मात्रा भार ११/१६) माप तौल कर बोल।सोच समझकर बोला करना॥ बोलो नहीं कुबोल।मृदु भाषी बन चलते रहना॥ बोली हो अनमोल।ठोक बजाकर बातें कहना॥ नहीं बजाओ ढोल।गोपनीयता कायम रखना॥ नहीं खोलना पोल।हर मानव की इज्जत करना॥ मत हो जाना गोल।साथ निभाते चलते रहना॥ बनना सीखो घोल।सीखो घुलमिलकर के रहना॥ कभी न … Read more

गगन का चाँद

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. करे गगन का चाँद भी,सभी को अमृत दान।शीतलता दे चंद्रमा,करे सभी रस पानll शरद पूर्णिमा में करें,राधा-कृष्णा रास।शरद पूर्णिमा में तभी,करें सभी विश्वासll रहे गगन का चाँद भी,आज धरा के पास।दूर गगन में चाँद से,बुझती सबकी प्यासll कहते हैं कोजागरी,इसे यहाँ कुछ लोग।श्वेत धवल सुन्दर … Read more

नयन नशीले

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** नयन नयन की जब हुई,आपस में टकरार।उठा ज्वार उर उदधि में,फूट पडे़ उद्गार॥ नयन नशीले मद भरे,लब ज्यों सुर्ख पलाश।कंचन काया पर चढ़ा,यौवन का मधुमास॥ नयन नयन में हो गई,पिय की पिय से बात।तन मन पुलकित हो उठा,मचल गये जज्बात॥ नयनों में उलझे नयन,उर खो बैठा होश।मचल उठे जज्बात फिर,यह यौवन … Read more

मानव हृदय उजास हो

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************** मानव हृदय उजास हो,होवे सुंदर काम। नेक कर्म अरु भाव से,मिलता जग में नामll बुरे कृत्य को छोड़ कर,लाएँ सुंदर भाव। मानवता की राह हो,कभी न हो ठहरावll पुलकित मन सबका करें,भर दे नव उल्लास। भारत का हर नागरिक,धरे आप विश्वासll नित्य उजाला ज्ञान का,जन-जन में संचार। मृदुवाणी बरसे सदा,सुंदर हो … Read more

सम्मान का मान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** शक्ति भक्ति में मान ले,मन से कर ले भक्ति।नवरात्रों के पर्व हैं,माँ दुर्गा दे शक्ति॥ माता में हर शक्ति है,करे दीन का मान।शक्ति बने माँ भक्त की,बने दीन का दान॥ नवरात्रों में लोग जो,करते हैं उपवास।रखती माँ हर भक्त में,खुद आकर के वास॥ बलशाली का बल बढ़े,बढ़े दीन का … Read more

मुस्कान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************** जठरानल में अन्न हो,होंठों पर मुस्कान।सबके तन पर हो वसन,सबके पास मकानll धन वैभव सुख इज्जतें,सबको सदा नसीब।सभी बने शिक्षित सबल,सोचे नव तरकीबll सर्व समाज नित प्रगति हो,खुशियाँ मिले अपार।दीन हीन अरु पददलित,हो जीवन उद्धारll न्याय व्यवस्था आम जन,मानक शिक्षा नीति।ऊँच नीच दुर्भाव मन,मिटे मिलें सब प्रीतिll जाति धर्म … Read more

विजयादशमी पर्व है अहंकार की हार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) **************************************************** विजयादशमी पर्व है,अहंकार की हार।नीति,सत्य अरु धर्म से,पलता है उजियारll मर्यादा का आचरण,करे विजय-उदघोष।कितना भी सामर्थ्य पर,खोना ना तुम होशll लंकापति मद में भरा,करता था अभिमान।तभी हुआ सम्पूर्ण कुल,का देखो अवसानll विजयादशमी पर्व नित,देता यह संदेश।विनत भाव से जो रहे,उसका सारा देशll निज गरिमा को त्यागकर,रावण बना असंत।इसीलिए असमय हुआ,उस … Read more