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जय गुरुदेव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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संतों के तुम संत थे,सचमुच दैवीय संत।
राह दिखाई सद्गुण की,किया पाप का अंत॥

थे साधक तुम उच्चतम,पावन एक महंत।
सिक्ख धर्म का कर सृजन,बने आप बेअंत॥

देव गुरू नानक प्रखर,थे जीवन का सार।
बाँटा जिनने नित्य ही,एक सुखद संसार॥

महादेव थे,ताप थे,लिया दिव्य अवतार।
आये सबको सौंपने,जीवन का उजियार॥

तलवंडी में जन्म ले,बने सत्य का रूप।
हर जन को सौंपी यहां,जिनने पावन धूप॥

ज्ञान दिया और प्रेम दे,करुणा का दे नीर।
गुरु नानक जी आपने,हर ली सबकी पीर॥

सदियों में लेता जनम,सकल ज्ञान का पुंज।
नीति,सत्य,दर्शन बने,जिनके प्रवचन-कुंज॥

आज जयंती गा रही,देखो मंगल गीत।
हम अब करना सीख लें,हर बंदे से प्रीत॥

द्वेष-त्याग मानव बनें,तज दें सकल अधर्म।
नानक जी सिखला गए,हमको सच्चा मर्म॥

अंधकार ना आ सके,मानो यदि गुरु-सीख।
मुझसे गुरु-सी दिव्यता,दूर-दूर ना दीख॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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