रिश्ते रूपी पौधे में निरंतर छिड़कें प्यार और अपनापन
पी.यादव ‘ओज’झारसुगुड़ा (ओडिशा)********************************************** कहाँ गया रिश्तों से प्रेम…?… बड़ी अजीब-सी बात है। बात यदि रिश्तों की उठे तो, मन बड़ा मायूस हो जाता है। एक गहरी सोच में डूब जाता है मन! और एकाएक आँखों के सामने रिश्तों के तमाम चेहरे तैरने लगते हैं। मन रम जाता है उन रिश्तों की गुंथी माला में, जिसे … Read more