यदा यदा हि धर्मस्य…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** गीता का एक श्लोक है-“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे- युगे॥”अर्थात जब-जब इस पृथ्वी पर अनाचार और अत्याचार हद से ज्यादा बढ़ जाता है, सज्जन लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है, चारों तरफ अधर्म का बोलबाला हो जाता है, तब-तब धर्म की स्थापना … Read more