गाय के गोबर की महत्ता

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** सनातन संस्कृति के जितने भी आर्श ग्रंथ हैं, लगभग सभी ने गाय के महत्व को स्वीकारा है। गाय में ३३ कोटि देवताओं का वास बताया गया है।…

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जहरीले भाषणों की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती समस्या

ललित गर्गदिल्ली************************************** कर्नाटक में चुनावों को लेकर नफरती सोच एवं घृणित भाषण का बाजार बहुत गर्म है। राजनीति की सोच ही दूषित एवं घृणित हो गयी है। नियंत्रण और अनुशासन…

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श्रमिकों से ही विकास

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* 'श्रमिक दिवस विशेष (१मई)' "श्रमिकों का सम्मान हो, हों पूरे अरमान।यही आज आवाज़ है, यही आज आह्वान॥"     अमेरिका में मजदूर दिवस शुरू होने के…

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कर्मानुसार फल भोगना तय

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** जैन दर्शन के अनुसार ईश्वर विश्व निर्माता नहीं है। यदि सृष्टि निर्माता होता तो, सब जीवों को समान बनाता, पर ऐसा नहीं हुआ और यह सृष्टि अनादि अनंत…

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का परिणाम

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र में संवैधानिक अधिकार है', यह सब भली-भांति जानते हैं, लेकिन 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' से संबद्ध सीमाओं को निर्धारित नहीं करते। अभिव्यक्ति मनुष्य…

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कश्मीर में आतंक नहीं, शांति का उजाला हो

ललित गर्गदिल्ली************************************** कश्मीर को 'धरती का स्वर्ग' कहा जाता है। यहां के बर्फ से ढके पहाड़ और खूबसूरत झीलें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। प्राकृतिक सुंदरता की वजह से इसे…

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सावधानी बरतें, मौत और नपुंसकता को न बुलाएँ

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** भारत वर्ष एक स्वछन्द देश है। यहाँ सब प्रकार की छूट है, जैसे-अपराध हो, भ्रष्टाचार में, अनुशासनहीनता, मिलावट आदि जितनी जितना अधिक कर सको वह सब संभव है।…

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समलैंगिक विवाह:अभिशाप और सामाजिक विकृति

डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी, इंदौर समलैंगिकता का मुद्दा सदियों से भारत में एक विवादास्पद विषय रहा है। समाज ने पारंपरिक रूप से विषमलैंगिकता को एक सामाजिक निर्माण के रूप में…

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उन्नत जीवन पुस्तक की जीवंतता से ही संभव

ललित गर्गदिल्ली************************************** 'विश्व पुस्तक दिवस' (२३ अप्रैल) विशेष... हर साल २३ अप्रैल को दुनियाभर में पुस्तक पढ़ने की प्रेरणा देने एवं पुस्तक संकृति को जीवंत बनाए रखने के लिए 'विश्व…

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भाषा के बदलते रूप

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* भाषा के बदलते रूप कई हैं-मसलन् राजनीतिक विचार में भाषा के अपने शब्द-अर्थ हैं, सामाजिक विचारों में उससे भिन्न शब्दार्थ होते हैं। अर्थ, धर्म व दार्शनिक…

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