मन घबरा रहा…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ विश्व पर्यावरण दिवस (५ जून) विशेष.... जल रही धरती,ज़लज़ला आ रहाप्रकृति का यह तांडव,मन घबरा रहा। साँस लेने के लिए जरूरी हवा,वह भी दूषित व…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ विश्व पर्यावरण दिवस (५ जून) विशेष.... जल रही धरती,ज़लज़ला आ रहाप्रकृति का यह तांडव,मन घबरा रहा। साँस लेने के लिए जरूरी हवा,वह भी दूषित व…
सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* पेड़ और पानी से भरपूर था,घरौंदा डालियों पर झूलता थासभी पक्षी मस्ती मचाते थे,पेड़ पर पींगे लगाते थे। जाने किस दुश्मन का साया,प्यारे जंगल पर छाया…
सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** बात पते की हे जन ! जानो,नशा नशीला, मारक मानो हैबे-पल बे-मौत बुलावा,क्या है शान ? प्रतिपल छलावा। धीमा जहर, जीवन बुझाता,घनेरी यंत्रणा, अधम तृष्णाकैसी…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मानव जीवन था नज़र बंद,पक्षी-पौधे थे पूर्ण स्वछंदपर्यावरण हुआ स्वच्छ मंद,नहरों-नदियों में अंतर्द्वंद। दृष्टिगत हुई नदियाँ गहरी,पक्षी स्वयं समझे उड़नपरीदुनिया इंद्रधनुषी रही खड़ी,खुशहाली कर्फ्यू की…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** चुन-चुनकर लेंगे बदला, ये भारत का 'सिंदूर' है।बहुत सह लिया तुझे, तोड़ना तेरा अब गुरूर है॥ भक्ति देखी, शांति देखी, अब देखेगा तू क्रांति भी।मजबूर किया…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** सुनो सायकिल बड़े काम कीएक सायकिल रखना पास,इसमें इतने सारे गुण हैंसबके लिए बहुत ही ख़ास। बच्चे-बूढ़े सभी चलातेमत करना इसका उपहास,नहीं बहुत महँगी यह आतीहै यह…
मंजू अशोक राजाभोजभंडारा (महाराष्ट्र)******************************************* एक शहर में मैंने देखा,ऐसा भयानक तबाही का मंजरवहाँ कुछ पल पहले ही,थमा था तूफान आकर। कुछ लोग थे उदास,अपना बहुत कुछ खोकरकुछ लोग थे,बिलख-बिलख कर…
प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** ओ मानुष ! काहे ? फिरे मारा-मारा,ये संसार चार दिनों को ही है तुम्हारा। माया जाल में फंसकर,भूल न जाना प्रभु कोसुमिरन में समय…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* पैसा बोलता दुनिया, पैसा ही नवरंग।रिश्ते नाते मान यश, बिन पैसे बदरंग॥ पैसे ही ऊँचाइयाँ, पैसे ही सम्मान।पैसों के महफ़िल सजे, पैसा ही भगवान॥…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सावित्री की दिव्यता, हार गए यमराज।सावित्री के तेज पर, हर्षित सकल समाज॥ सावित्री के तेज से, हार गए यमराज।नारी रखे सतीत्व तो, बजे सुखों का साज॥…