खिलखिलाती वादियाँ

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** चल पड़ी चुपचाप सन-सन-सन हवाडालियों को यों चिढ़ाने-सी लगी,आँख की पुतली अरे खोलो जराहिल कली को यों जगाने-सी लगी। पत्तियों ने चुटकियाँ झट दी बजाडालियाँ कुछ डुलमुलाने-सी लगी,किस परम आनंद-निधि के चरण पर,विश्व साँसें गीत गाने सी लगीं। जग उठा तरु-वृंद सुन यह घोषणा,रश्मियाँ कुछ झिलमिलाने-सी लगीं।हो रहे जीवंत सारे चर-अचर,वादियाँ अब … Read more

भक्ति भाव

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** मत बन तू छलनी के जैसा सार बहा दे‌ असार धर,जैसे दुर्जन गुण को त्यागें अवगुण राखें संभार कर। सांचे भक्त हों सूप के जैसे कूड़ा बाहर सार अंदर,माया कूड़ा सार प्रभु जी प्रभु गुण गाऐं पुकार कर। जो भी मुक्त न होना चाहें माया-मोह के बंधन से,आसक्ति संसार … Read more

‘विवाह’ जीवन आधार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* नर-नारी कारण जगत, जीवन का आधार।शुभ विवाह बन्धन प्रणय, सप्त बन्ध परिवार॥ रिश्ते-नाते सब यहाँ, बस विवाह सम्बन्ध।धर्म सनातन आस्था, कुसुमित प्रीति सुगन्ध॥ खिले ज़िंदगी बांगवां, नारी पुरुष विवाह।महकें खुशियाँ मधुरता, सांसारिक सुख चाह॥ अन्तर्मन दम्पति मिलन, सुख दु:ख जीवन मीत।आलिंगन तन मन सृजित, शाश्वत दिल संगीत॥ विवाह समझौता … Read more

मन का खेल

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* महासागर-सा यह मन मेरा…धैर्य-बंधन में बंधा हुआ,नन्हें कंकड़ से फट जाता…दामन ज्यों धीर का फिसल गया। एकरसता ज़िंदगी की…तार-तार मन कर देती,जर्रा-जर्रा खोल देती…एकाकी से जीवन का। क्यों, किसलिए है जीना…कुछ समझ नहीं आता,छूट रही ज़िंदगी हाथ से…कांप-कांप मन है जाता। गंगा-जमना-सी धाराएं…बंधन तोड़ निकल पड़ती,थोड़ा-सा मन खाली होता…कुछ सुकून-सा मिल … Read more

शिव बारात

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** कर कठिन तपस्या माता को, शिव ने जब था स्वीकार किया,सज गई बरात देव आए अपने-अपने वाहन लाएसब अगल-अलग चल पड़े वहाँ,माता का मण्डप सजा जहाँशिव सबसे पीछे निकले थेबाराती सब उनके संग थे,बारात देखने आते जोमारे डर के भाग जाते वोऐसी बारात न देखी थीसपने में भी नहीं सोची थी,कोई बिना … Read more

मर्यादा की महत्ता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मर्यादा से मान है, मिलता है उत्थान।मिले सफलता हर कदम, हों पूरे अरमान॥ मर्यादा से शान है, रहे सुरक्षित आन।मर्यादा को जो रखें, वे बनते बलवान॥ मर्यादा से गति मिले, फैले नित उजियार।मर्यादा रहती सदा, बनकर जीवनसार॥ मर्यादा है चेतना, जाग्रत करे विवेक।मर्यादा से पल्लवित, सदा इरादे नेक॥ मर्यादा को साधता, … Read more

बुढ़ापा छू भी ना पाएगा…

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ कल रात मैं जब सोई थी,मीठे-मीठे सपनों में खोई थीतभी अचानक ऐसा लगा, किकिसी ने दरवाजे पर थपकी दी हैमैंने सपने में ही देखा-कि एक बूढ़ा दरवाजे पर खड़ा था,जिसके बाल सन्न से सफेद थेकंधे झुके और काया थी कृषकाय,हाथों में सहारे के लिए लाठी थीमैंने चिंतित स्वर में पूछाबाबा, सुबह-सुबह कैसे … Read more

मौन में छिपी सिसकी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गरीबी के आँसू की धारा, अविरत प्रवहित अवसाद कहेमौन में छिपी सिसकती सिसकी, दीन हीन स्वयं हमराह कहे। निशिदिन मौन मेहनती अविरत, दुनिया उनको मजदूर कहेभूख प्यास आतर जठनानल, बन अम्बर छत मजबूर कहे। अश्क विरत नयना बन खोदर, मिल पीठ पेट हैं एक बनेकृश काया मर्माहत चितवन, क्षुधित … Read more

ना जाने कितने!

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ ना जाने कितने…अनकहे प्रश्नों को लिए,खड़ी हूँ धरा पर दबी हुई,दूब-सी…। अवनी में दिख रही हैं, जो दरारें सभी,हमने ही आकर खोली थीमन की गाँठें कभी…तपती दुपहरी में ही नहीं, कर्कशा धूप में भी,हरी हूँ…अपनी ही उर्वरता से, अपने ही रूप में भी,जली नहीं नभ से गिरे ओलों और वृष्टि … Read more

मंजरित हृदय फुलवारी

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** दैन्य-दु:ख मिट गए सारेछँटी सब धूलियाँ मन की,सितारे आज हँसते हैंसोहे चंदा की उजियारी। सृजन का हर्ष है मन मेंगुंजरित पैजनी पग की,पल्लवित हो उठा यौवनमंजरित हृदय फुलवारी। रोमांचित प्राण होता हैअमित यह लालसा मन की,आएगा झूमकर बचपनगूँजेगी घर में किलकारी। गीत कोयल के मधु घोले,कामना नवल पल्लव की।लालायित मन की तृष्णा … Read more