हिमाचल की पुकार

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** आज हिमाचल रो रहा है, चहुं ओर देख कर चीख पुकारटूटे पर्वत, सड़कें टूटीं, बहा गई नदियाँ कई लोगों के घर-बार। बेघर हुए, कई अनाथ हुए, कईयों का बह गया सब परिवार,बेजुबां पशु भी बह गए, पेड़-पौधे तो बह गए लाख-हजार। वह बह गया! वह ढह गया! रुको! भागो! बचो!-है यही … Read more

आना फिर तिथि चतुर्थी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आज गजानन विसर्जन, देव प्रथम विघ्नेश।मिटा देशद्रोही वतन, लम्बोदर बुद्धेश॥ मानवता अनमाेल जग, श्री गणपति दो सीख।क्षमा करो अपराध प्रभु, भक्त माँगता भीख॥ गणनायक जाओ प्रभो, करूँ विसर्जन आज।कठिन विदाई का समय, साश्रु नैन गणराज॥ पूजन अर्चन वन्दना, माना प्रभु बहु दोष।किन्तु कृपा प्रभु आपकी, हुआ हृदय संतोष॥ फिर … Read more

करो सबका भला

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** हे एकदंत,तुम सबकी आसहे दयावंत। गौरी के लाल,करो सबका भलाकरो कमाल। है भुजा चार,बरसाओ न कृपालीला अपार। स्वागत करें,चढ़े पान-सुपारीमोदक धरें। मूषकधारी,संसार को चाहिएदया तुम्हारी। भक्तों की सुनो,खुशियाँ बरसाओपाप को हरो। आप विशेष,करूँ नित पूजनचाहूं न क्लेश। पूजूँ चरण,हर लो हर कष्टदेना शरण। देना खुशियाँ,सबका प्रेम रहेबने दुनिया। हे विघ्नहर्ता,आशीष देना … Read more

बारिश बनी आफत

धर्मेंद्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)******************************************** बारिश ने कहर है ढाया,रिमझिम मौसम में है डराया,देवभूमि हिमाचल में ये कैसामौसम आपदा बनकर आया। पर्वत, पहाड़, सड़कें ढह गई,न जाने किसकी नजर है लगी!घर से बेघर हुए हैं लोग,खाने को नहीं मिलती रोटी। हाय! अपनों से बिछड़ गए,नहीं बची कुछ जीवन कमाईचीख, पुकार, दर्द से तड़पते,क्यों प्रभु को … Read more

दुखों की गहराई

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** दुखों की कहानीएक अनकही दास्तान,लेकिन दुखों में भीएक उम्मीद की किरण,एक शुरूआत की संभावनादुखों से सीखकरनई राह ढूंढना। नये जीवन की शुरूआतकी कहानी खोजना,एक नई सुबह की प्रतीक्षा मेंजीवन की सच्चाई को समझना। दु:ख के साए में हीजीवन की राहों को बनाना,दुखों की कहानी कोदिल की गहराई में दबाना। एक अनजान-सी दुनिया … Read more

प्रथम पूज्य ‘बप्पा’ की जय हो

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग मेंगजानन पधारे,विशाल या नन्हेंचतुर्थी पर,अपने रथ पर होकर सवारगाड़ी से उतरकर,हाथ में संदूक पकड़। पंडाल हुआ रौशन,मूषक राजा देख फैशनकभी बजाए बाजा,नाचे सुर-ताल पर। बच्चे-बूढ़े,खुश होकर बोलेबप्पा आए,हमारे द्वार। लाएँ खुशियों की बौछार,चरणों में उनके हम न्योछावरभक्त जन करते आरती देवा की,लिए मन में भक्ति अपार। सुबह-शाम … Read more

शिव-शंभू-शंकरा

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** शिव-शंभू, शिव-शंभू, शिव-शंभू शंकरा,मन से तेरी भक्ति जो कर ले, हो वो‌ खरा। देवों के देव करें भक्त का कल्याण यूँ,दारिद् दुःख भयंकर से भयंकर भी है हरा। सबकी सूरत में तेरी मूरत प्रणाम है,बता किसको अपना-पराया कहूं जरा। आदि हो, अनंत हो, तुम सबमें जीवंत हो,पाऊं हर रूप … Read more

हे दयावंत

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** हे एकदंत,हे दयावंत। गौरी के लाल,मस्तक विशाल। है भुजा चार,मुक्तन का हार। स्वागत में गान,मोदक औ पान। मूषक सवार,गणपति उदार। भक्तों की आन,रखते हैं ध्यान। प्रभु हैं विशेष,गणपति गणेश। धरूँ चरण नाथ,रहना तुम साथ। मेरी पुकार,करना स्वीकार॥

खेल बस जीभ का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* खेल समझ बस जीभ का, शब्द लपकती जान।अन्तर्मन के भाव से, गढ़े मान-अपमान॥ नवरस से जिह्वा लसित, उच्चारण स्थान।तनिक प्रमादित चूक हो, पतन समझ इन्सान॥ सावधान मन वञ्चना, जीभ बने मनमीत।शब्द फँसे मन जाल में, जीभ बिगाड़े प्रीत॥ नित जिह्वा हो लालची, वाणी फँसे कुचक्र।मर्यादा तोड़े कहीं, कहीं दिलाये … Read more

औरतें… कई बार

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* औरतें एक ही जीवन में कई बार मरती है,फिर कुछ फर्ज याद कर यूँ ही जी उठती है। घसीट-घसीट कर पैरों को दौड़ती-फिरती है,मरी हुई काया से ऐसे बदला निकालती है। धीरे-धीरे अपनी खुशी को मारती जाती है,कुछ इस तरह अपनी ज़िन्दगी गुजारती है। खुद के लिए शिकायतें करना छोड़ देती … Read more