अद्भुत गाथाकार
विजयलक्ष्मी विभा प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)************************************ मानवता के प्रेमी जग में, प्रेमचंद्र साकार हुए,बोल न पाते जो जन मुख सेसुना न पाते अपनी पीड़ा,आँसू बह-बह पड़तेउनको विश्व समझता केवल क्रीड़ा,उन दुखियों के दुख कहने कोअद्भुत गाथाकार हुए। ऐसे व्यथितों के दु:ख तुमने,अपनी ही आँखों से रोएअपने घाव छोड़ कर रिसते,औरों के निज मसि से धोएजग की करुणा लेकर … Read more