चला था अकेले यूँ ही पथ पर

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* जीवन की इस कठिन डगर में,चला था मैं अकेले यूँ ही पथ परलंबे हों रास्ते या टेढे़-मेढे़ तंग गलियों में,परे सोच चलते रहना है हर परिवेश…

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चरण वंदना आपकी श्री गंगा

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* चरण वन्दना आपकी, हे भागीरथी आप बड़े महान हैं,श्रीगंगाजी को लाए धरा पर, सभी जनों का कल्याण है। पावन पुण्यतिथि गंगा दशहरा की, आज खुशहाली है,सब…

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छूना आसमान है

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* खूब करो परिश्रम,लगा देना पूरा दमश्रम से न घबराना,पाना जग मान है। कभी न हिम्मत हार,करना मंजिल पारतूफानों को चीर जाना,आगे द्युतिमान है॥ छोड़ अहम भाव…

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जिंदगी आखिर कहाँ हो तुम!

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** पांच मंजिल,तीस कमरे,पांच हॉलदस दालान,चार ओर से सीढ़ी,दस बरामदे,सात आँगनदो बगीचे पांच फुलवारी,यह एक महल है…पास ही तीन कमरा एक छोटा हॉल,बिना सीढ़ी दालान आँगनफुलवारी,बगीचे की एक…

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गले लगाते हैं

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* प्यार से बुलाते हैं।प्यार ही सिखाते हैं। जो मिलें दबे-कुचले,हम गले लगाते हैं। हैं दलित भी मान वही,क्यूँ इन्हें भगाते हैं। जो मिले ग़रीबी…

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बचपन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* बचपन की यादें सुखद,दें मीठे अहसास।बचपन के दिन थे भले,थे बेहद ही ख़ास॥ दोस्त-यार सब थे भले,जिनकी अब तक याद।कुछ ऊँचे अफ़सर बने,वे अब भी…

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धर्म

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** ईश्वरीय उपासना व आराधना,धर्म का नाम हैज़िन्दगी में सफल होने के लिए,सर्वोत्तम शुभ नाम है। पवित्र गुणों और कर्मों का धारण,धर्म कहलाता हैयह धर्म का संस्कार ही,मानव को सम्पूर्ण…

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नवजोत उमंगें हर पल मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** नवजोत उमंगें हर पल मन,उल्लास नवल हो जाता हैनव ध्येय भोर कर्त्तव्य किरण,विश्वास सबल बन जाता है। नित नवल सोच नव शोध सुपथ,उन्मुक्त उड़ानें…

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ऊँचा आशियाना

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** आशियाने कई बसे हैं, ऊँची इमारतों की छाँव में,नाक सिकोड़ते ये दौलत वाले, भरे हुए हैं ताव में। तिनका-तिनका जोड़ कर, चीथड़ों से सजा दिए,गरीबों को…

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बेटी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** बेटी हाथ बंटाती,घर के कामों मेंमाँ से ही सीखा था,ससुराल जाने का पाठताकि काम के न आने पर,ताना देने के बाणों सेवो मुक्त हो सके। मैं भी…

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