धर्म अंदर का विषय

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** धर्म अंदर का विषय हैहम बाहर तलाश रहे हैं,मौन में मालिक है-हम सौर में झांक रहे हैं। है त्याग और तपस्यावासना में नाप रहे हैं,अधर्मी स्वयं होकर…

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मन मेरा बेचैन

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** हारा जबसे खेल में, मन मेरा बेचैन।आँखों में निंदिया नहीं, कटे नहीं अब रैन॥कटे नहीं अब रैन, व्यथा किससे मैं कहता।मिली हृदय को चोट, कहे…

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हे भोलेशंकर

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** त्रिलोक के स्वामी शिवशंकर,क्रोधाग्नि अतिप्रचंड भयंकर। कंठ पर साजे नागों की माला,घनघोर घटा-सी जटा दुशाला। भस्म से लेपित नील लोहित,सारा जग तुम पर ही मोहित।…

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बेपनाह मुह़ब्बत है आपसे

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** यह 'बात झूठ है के अ़दावत है आपसे।हमको तो बेपनाह 'मुह़ब्बत है आपसे। हम आपकी ख़ुशी में ही ख़ुश हैं जनाबेमन,किसने कहा के कोई शिकायत है…

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जल जीवन का आधार

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* जल ही कल..... जल जीवन जल जान है,जल जीवन का आधारपंचतत्व में एक जल,प्रकृति का उत्तम उपहार। कुएं, तालाब, नदी, बावड़ी,कूड़े-कचरे से दिए पाट'पानी बचाओ' बैनर लगाएं,वाह!…

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तुम्हें शस्त्र उठाना होगा

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** रण होता गर शत्रु से,विजयश्री लिखती तुमद्वंद छिड़ा है अपनों से,कैसे रण चंडी दिखती तुम ?प्रेम नहीं है तुमसे,मात्र छलावा करते हैंभावनाओं को लूटकर,दिखावा करते हैंभावनाओं को…

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तुम ही पावन…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचना शिल्प: प्रति चरण १६ मात्रा-२ २ २ २ २ २ २ २.... तुम ही पावन, मन भावन हो,जीवन का तुम ही उपवन हो।तुमसे…

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मन दौड़ता उस ओर क्यों ?

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हो शीत चाहे हिम,भयानक ताप भीषण गर्जना।मन दौड़ता उस ओर क्यों,होती जहां है वर्जना।पथ पूर्व पूर्वज चल सरल,जो मार्ग निष्कंटक किया।काँटे चले ना मन अगर,कैसे करे नव…

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वक़्त की नजाकत

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** वक़्त की नजाकत को,समझना होगासम्भल-सम्भल कर,कदम बढ़ाना होगा। कष्ट भी आएंगे जीवन में,फूट-फूट कर रुलाएंगेवक़्त के ज़ख्मों पर,मरहम लगाना होगा। विश्वास नहीं करना,किस्मत की लकीरों परमंजिल अगर…

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तुम ही तो शुभ साज हो

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* प्रियवर मेरे हृदय भाव की, तुम ही तो आवाज हो।आशा के हर गीत सृजन का, तुम ही तो शुभ साज हो॥ प्रियतम तुम्हीं गीत सार में,…

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