समय

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** समय के ब्लैक बोर्ड पर,यादगारपदचिन्ह छोड़ जाने की कोशिश में,रात-दिनअनवरत,भागम-भाग कर रहे हैं हम!चल रही है घड़ी,चल रही है दुनिया!मनाते हैं हम,कोई दिन, कोई दिवसबताने को,उसकी…

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तुम जबसे आए…

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** तुम जबसे आए हो जीवन में,तन-मन पर छाये रहते होदिल खयालों में डूबा रहता है,तुम हो तो रंगीन जमाना लगता है। पाया तुमको,तो दूर हुआ गम,पतझड़ सा…

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कविताएँ लिखती हूँ तुम्हारी मुस्कुराहट के लिए

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ तुम्हारी एक मुस्कराहट के लिए,चढ़ जाती हूँ कल्पनाओं के पहाड़ों परअपने मन को लेकर,प्रेम की बैसाखी के सहारे। कभी बादलों से मिन्नतें करती हूँ,कि जम कर बरसेंपर्वतों से…

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नेकी कर दरिया में डालो

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** यह सीख नहीं, एक सुंदर सौगात है,जन-जन तक पहुंचाती आत्मसात हैभलाई करने वाले कुछ ही लोग होते हैं,नेकी कर जो इसे दरिया में डाल देते हैं। मजबूत इरादों से…

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सारथी बनें

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद विनम्र’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* मौका मिले तो सारथी बनें,ऐसा न हो कि स्वार्थी बनें। सारे दुर्गुणों का त्याग करें,संवाद न कभी द्विअर्थी बनें। याचक भाव, रखें मन में,गलत जगह…

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धीमा ज़हर, ले मुँह मोड़

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* तम्बाकू धीमा ज़हर,इससे ले मुँह मोड़।तम्बाकू सेवन नहीं,इसको दे तू छोड़॥ तम्बाकू को जान ले,लाती ढेरों रोग।फिर भी सेवन कर रहे,देखो मूरख लोग॥तम्बाकू से चेतना,होती…

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बचाना है अपने कल को

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* ले के कंचन थाल कपूर घी बाती करिए गंगा माँ की आरती,माता गंगा ही अपने जल से मनुष्य के भाग्य को संवारती। बचाना है जल को,जल…

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बाँहों का सिरहाना दूंगा

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** अच्छे संस्कारों का घराना दूंगा,तुम्हें हर खुशी का नजराना दूंगा। तेरी आँखों में आँसू न आने दूंगा,तुझको बाँहों का सिरहाना दूंगा। मुहब्बत करता हूँ बेपनाह तुमसे,हर खुशी…

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गरीब

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** गरीबों की नहीं होती, कभी कोई दिवाली है,भरी हसरत हजारों हैं, मगर ये जेब खाली है।भले दिखता रहे चंदा, चमकता आसमानों में,मनेगी ईद पर उनकी,…

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जल अस्तित्व

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** जल ही कल..... जल है मानव संरचना का उपयोगी तत्व,जल ही है हमारे समस्त जीवन का सत्व। जल से आरंभ होता हर प्राणी का जन-जीवन,और अंत…

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