मैत्री हो भाग्यवान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* भाग्यवान मैत्री हो लोका।मित्र वही साथी हर शोका॥नीति-रीति सम्प्रीति दिखावा,बढ़े मदद दु:ख हाथ बढ़ावा॥ खुशियाँ गम समरूप दिखाए।आपस में विश्वास जगाए॥बने सदा विपद संजीवनी।अपनापन रिश्ते हो अपनी॥ मित्र इत्र सुरभित सम लोका।तन मन आनंदित आलोका॥नाजुक कोमल कुसुम समाना।खिले पुष्प मकरंद सुहाना॥ कृष्ण-सुदामा अमर मिताई।स्नेहिल निर्मल धार बहाई॥वासुदेव कृष्णा सखि … Read more

मित्र जरूरी, ज़िंदगी अधूरी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** मित्रता-ज़िंदगी… ज़िंदगी में मित्र,जरूरी हैइसके बिना,ज़िंदगी अधूरी है। आड़े वक्त में,मित्र ही काम आते हैंबाकी लोग,नज़र नहीं आते हैं। सगे-संबंधी से,ज्यादा मित्र काम आते हैंमुसीबत के समय,हमारा हौसला बढ़ाते हैं। दोस्त हमारा,हमराज़ होता हैहमारा हर राज़,उसके पास होता है। सच्चा दोस्त बड़ी,मुश्किल से मिलता हैऔर मित्रता का रिश्ता,आजीवन चलता … Read more

तोहफ़ा है मित्रता

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* मित्रता-ज़िन्दगी… सबसे कहाँ मन मिलते हैं ?सबसे ही दिन बहलते हैंतक़दीर से ये ख़्वाब पलते हैं,मुश्किल से मित्र मिलते हैं। दूरियाँ कम कर देते हैं,हिम्मत बढ़ा देते हैंवक्त बहुत चुराते हैं,मुश्किल से मित्र मिलते हैं। मधुर हवा का झोंका है,मित्रता प्रभु का तोहफ़ा हैजीने की उमंग जगाते हैं,मुश्किल से मित्र मिलते … Read more

वृक्षों की पुकार

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** वृक्ष तुम्हें कह रहे मानव,क्यों कर रहा अत्याचार ?ले हाथ कुल्हाडी मुझे,क्यों काटे बारम्बार ? कट जाऊंगा में अगर,तुम छाया कहाँ से लाओगे ?बिन छाया तुम सभी,लू के थपेड़े खाओगे। निज स्वार्थ को पूरा करने,कल कारखाने लगाते होरेल पटरियाँ बिछाकर तुम,मेरा घर क्यूँ जलाते हो ? कहाँ गये मेरे जंगली जानवर,कहाँ गयी … Read more

ज़िंदगी का ताना-बाना

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** ज़िन्दगी तुझसे कभी शिकवे नहीं किए,तेरे दिए हर ज़ख्म को हम हँस के सह गएन तयशुदा तारीख थी, न तयशुदा समय,विधिना ने कैसा खेल ये खेला था असमय ?हमको संभलने तक का इक मौका नहीं दिया,जीवन मेरा खुशहाल था, बेरंग कर दियाकैसा अजीब ‘ताना-बाना’ तूने बुन दिया ?उसका सिरा, सिरे से गायब … Read more

भ्रष्टाचार की बलिहारी…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ खुलेआम लूट रहे पराऐ माल को,लुटेरे बन यह जनता के सेवकलालच कम नहीं होता है इनका,भ्रष्टाचार की बलिहारी बढ़ रही है…। ‘टेबल’ के नीचे से खर्चा-पानी,आज-कल खुलेआम नहीं आनलाइनले रहे हैं भ्रष्टाचार का माल,क्योंकि भ्रष्टाचार की बलिहारी बढ़ रही है…। बिना रिश्वत ये तो अपनी क़लम नहीं उठाते,एक साइन की … Read more

कौन आता है अब…

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** कौन आता है अब यहाँ,वीरान गलियाँपेड़ कट चुके,नई दुकानें खुल चुकी। मंदिर पर चढ़ाए जाने वाले फूल,राह देख रहे अब भी तुम्हारीऔर बालों में सजने की राह,मोगरे की वेणी, गुलाब का फूलखत तो खुद ही विलुप्त हुएकिसी ने नहीं कहा उन्हेंबस मोबाइल से उन्हें इश्क़ हो गया। दुपट्टे भी घूम हुए … Read more

एक-दूसरे के बिना रह नहीं पाते

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* क्यूँ न आज यह महफिल दोस्तों के नाम हो जाए,दोस्ती के रंग में रंग कर सुबह से शाम हो जाए। पहले मैं इन प्यारे दोस्तों को पहचानती न थी,इन लोगों से दोस्ती कितनी खूबसूरत है, जानती न थी। अब तो हम एक-दूसरे के बिना रह नहीं पाते,हम उनके दिल में … Read more

मेरे श्री राम

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** चौड़े सीने वाले,मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम राम। लम्बी भुजाएं, तरकश टांगे,चले थे चौदह वर्ष वन के धाम। खड़ाऊ पहन कर वन घूमे,छोड़ राज अयोध्या का, श्री राम। किया वध राक्षसों का,केवट को दिया था मान। सुंदर छवि के दाता हैं,कानों में कुंडल पहने मेरे श्री राम॥

ब्रम्हगिरी परिक्रमा

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* ज्योतिर्लिंग त्रिम्बकेश्वर स्वरुप साक्षात है गिरी ब्रम्हगिरी,आओ ब्रम्हगिरी की करें परिक्रमा अनुभव करें शिव त्रिपुरारीकैसी विराजती, कैसी विहरती गिरि शिखरों पर शिव की सवारी,रग-रग में रमा जो शिवतत्व अनुभव करें यहाँ आकर ब्रम्हगिरी। शिखर-शिखर की मणिमालाओं पर खिला-खिला सा सावन है,चोटी-चोटी हरितिमा सज्जित विराजे शिव मन भावन हैपहाड़ों ने ओढ़ी हरियाली … Read more