घमंड की हवा रिश्तों को उड़ाने लगी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** कहाँ गया रिश्तों से प्रेम…? कहाँ गयारिश्तों से प्रेम,जब देखा रिश्तों की मिठाई परदौलत का वर्क चढ़ने से,दौलत वाले लोगों कोमिठाई मिलने से,रिश्तों से प्रेम भाप बनकरउड़ने लगा। कोई कुछ मांग न ले,घमंड की हवा ऐसे लगी किवो रिश्तों को हवा में उड़ाने लगी,दूरियों का फासला,रिश्तों के पुल को ढहाने लगा।और … Read more

फूलों की महक निराली

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* नन्हे फूलों की फुलवारी,महक रही है डाली-डालीखिले बाग में सुमन निराले,कितने सुंदर, कितने प्यारे। महक उठा है उपवन सारा,हुआ गुलसितां महका न्याराफूलों से लद गई हर डाली,पुष्प बन गई कलियाँ सारी। गेंदे की महक है निराली,माला बनती है मतवालीरंग-बिरंगे फूल निराले,कितने सुंदर, कितने प्यारे। जब फूलों से माला बनती,हर घर में … Read more

बच्चों की बारिश

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** करते उत्पात,ठहाकों की बातज़ोरों की बरसात,मिली जैसे सौग़ात। लेकर हाथों में हाथ,भीगते साथ-साथलगाते मिट्टी माथ,दोस्तों का था साथ। बारिश जब आती,मस्ती रंग लातीवानर सेना बन जाती,खूब उधम मचाती। पानी खूब उछालते,मस्ती में खूब नाचतेइन्हें देख हम भरमाते,चलो बच्चे बन जाते। खिड़की से देख रही,मगन मन बोल रही।बचपन याद कर रही,कविता मैं लिख … Read more

मंज़िल जरूर मिलेगी दोस्तों

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ हौसला मजबूत हो तो हरमुश्किल आसान होती है,हार के बाद जीत होती हैमंज़िल जरूर मिलेगी दोस्तों। जीवन की डगर कठिन हैउलझनों भरा यहाँ सफ़र है,हर चुनौती से तू संघर्ष कर लेमंज़िल जरूर मिलेगी दोस्तों। बाहर बहुत अन्धकार हैतू हिम्मत और ताकत से आगे बढ़,ऊँचाइयों की और बढ़ने में फिसलन होती … Read more

सावन के स्वर मधुरिम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सावन के स्वर मधुरिम रिमझिम बरसे घन घनघोर घटाएँ,सतरंगी पंखों से शोभित, खोल मोर चहुँ नृत्य दिखाए। दमक रही बिजुली चहुँ अम्बर, धमक गर्जना लोक डराए,नव यौवन बदरा घन श्यामल, विरहानल नयनाश्रु बुझाए। घटा वेदना संवेदित घन, घनन- घनन बरखा बरसाए,खोले पंखों मोर मनोहर, नाच व्यथा प्रिय घन बरसाए। … Read more

हिंदी प्रयोग, सहयोग, विरोध और गतिरोध

डॉ.शैलेश शुक्लाबेल्लारी (कर्नाटक)**************************************** हिंदी राजभाषा बनी, पर व्यावहारिकता से दूर,नियम किताबों में सजे, पर मन में कसक भरपूर। दफ्तर-दरबारों में बस, अंग्रेजी का ही राज,हिंदी जैसे भीख में, माँगे अपना काज। कहने को सरकारी है, पर दिखती है उपेक्षित,आदेशों की बाढ़ है, पर क्रियान्वयन वंचित। भले नीति बने सौ बार, जब मन न हो साफ़,तो … Read more

तुम कहीं… हम कहीं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* रिमझिम बारिश,सौंधी खुशबूकाले बादल,कर दे पागल। बिजली चमके,दामिनी गरजेअंधेरी रातें,भय से काँपे। भीगे हम-तुम,नीले छतरी के नीचेउड़ जाएँ मन,इंद्रधनुषी सपने बुनकर। मेघा बरसे,मिलने को तरसेधरती और गगन,होकर मस्त मगन। बारिश में भीगे बचपन में,वर्षा में कागज़ की नाव चलाएंछपा-छप कूदे धूम मचाएँ,बरखा में घूमे जवानी में। साथ भीगें बारिश में,ये तो … Read more

रूपांतरित हो गए हैं रिश्ते

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम ?… दिन कितने सुहाने थेवो बचपन की छुट्टियाँ,नानी, दादी, मौसी, मामाके घर मज़े से कटते थे। घर की शादी में भीढेर सारे रिश्तेदार,पहले से ही आ जाया करते थेकाम में हाथ बंटाने के लिए। साथ-साथ धूम मचाया करते थेबच्चे, युवा, बुजुर्ग एकसाथ,गपशप के दौरान चाय-पकौड़ीका लुत्फ … Read more

मूल्यों को बढ़ावा देना

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* छल-कपट और ईर्ष्या-द्वेष,बड़ा विकराल है इनका वेश। सब-कुछ कर देता है नाश,नही रह जाता कुछ भी शेष। बचकर रहना हर अवगुण से,सदाचार को अपनाना। अगर किसी से गलती हो,थोड़ा क्षमादान दे जाना। प्रेम-भाव रिश्तों के पोषक,थोड़ा-सा बस झुक जाना। कभी रूठे को मना लेना,खुशियों के दीप जलाना। माता-पिता की सेवा में,जीवन अपना … Read more

छह साल की बच्ची हूँ…

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** मैं हूँ छह साल की बच्ची, बोलो क्या है दोष।बलात्कार को झेल रही हूँ, मुझ पर क्यों है रोष॥ नटखट मेरी सोच जान लें, कुटिल पाप हुए सोच।खेल रहीं मैं नि:स्वार्थ भाव से, फिर भी रहे है नोंच॥ क्या तन मेरा नारी जैसा, क्या तन पर धरा विकास।रिश्ते संग बहलाकर मुझको, … Read more