साहित्य के शौर्य ‘दिनकर’

आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )****************************************************** राम नाम धारी, हिन्दी प्रभारी वो,हिन्दी साहित्य के शौर्य पुरुष वोउदित नवल दिव्य महा सूर्य वो,बेगूसराय सिमरिया जन्म भूमि वोमहा कवि थे, ओज महान वो। आधुनिक काल के राष्ट्र कवि,प्रगतिवाद, राष्ट्रवाद के मुखर कविकुरुक्षेत्र, हाहाकार, हुँकार जाने सभी,साहित्य अकादमी, पदम् विभूषण, ज्ञान पीठ पाए तभीनिर्भीक, स्वतंत्र कवि पाया सांसद … Read more

वो किरदार हूँ मैं…

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** ना समझने कीकिसी ने कोशिश की,ऐसा चपटा पत्थर हूँ मैं-वो किरदार हूँ मैं…। मुझ पर अनर्गलबहस खूब छिड़ी,फिर भी नाकाम सिद्ध हुई-वो किरदार हूँ मैं…। मेरी नजर मेंसब अच्छा किया,फिर भी गुनहगार साबित किया-वो किरदार हूँ मैं…। मैं तूफानों-सीइच्छा शक्ति रखती हूँअसंख्य विचारों को कैद रखती हूँ-वो किरदार हूँ मैं…। अपनी काबिलियत … Read more

माँ चंद्रघंटा देवी अवतरण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मातु चन्द्रघंटा शिवा, तृतीय दिवस महान।सिंहवाहिनी चन्द्रिके, महिमा मंडन गान॥ महिषासुर आतंक से, देवलोक भयभीत।देवों ने मांगी मदद, विधि शिव विष्णु विनीत॥ पीड़ कथा सुन देव की, त्रिदेव हुए अतिक्रुद्ध।त्रिदेव तेज उर्जा प्रकट, देवी अनुपम शुद्ध॥ अर्धचन्द्र माँ भाल पर, शुभ घण्टा आकार।माँ चंद्रघण्टा अवतरण,महिषासुर संहार॥ शिव त्रिशूल हरि … Read more

फूलों की बगिया

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** वादियाँ ही रंग-बिरंगे फूलों से सजी, महकती सुबह है…,पंछियों की मधुर मीठी तान से वो सुशोभित सी है…। बंद कलियों की भी खुद की अपनी एक मुस्कान है…,सुनहरी धूप में खिलकर अंगड़ाइयाँ लेना भी एक कला है…। जीवन में हार ना मानना, आगे बढ़कर कुछ हासिल करना है…,कलियों से सीख … Read more

माँ ब्रह्मचारिणी-२

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** तप-त्याग की ज्योत शांत स्वरूप,माँ ब्रह्मचारिणी का अनुपम रूपहिमवान पुत्री की सघन साधना,शिव प्रीत की दुर्भेद्य आराधना। श्वेत वस्त्र शोभित, उर निर्विकार,अद्भुत कमंडल, जपमाला करधारवदन तेज ब्रह्मचारिणी सौदामिनी,नग्न चरण रह अटल पथगामिनी। शिवशंकर को पाने की उत्कंठा,तपस्विनी फेरे अखंडित कंठाप्रेम पिपासा मन-मेधा में लिए,दृष्टिगत पल्लव पथ क्षोम किए। अपर्णा … Read more

याद पूर्वजों को श्रद्धा से करना

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)… जब करते हैं निष्काम कर्म तोमुक्ति जल्दी पा जाते हैं,सद्गति हो जाती हैपितरों की श्रेणी पाते हैं। यदि कर्म नहीं करेंगें हममोक्ष द्वार कैसे खोलेंगे हम,दो अंजुली जल पाते हमश्रद्धा का तर्पण पाते हम। याद पूर्वजों को श्रद्धा से करनाश्रद्धा की श्रेणी में आता है,श्रद्धा … Read more

तकनीकी हो, पर प्रेम न हो कम

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* चिट्ठी-पाती हुई बात पुरानी,मोबाइल जब से हाथ में आयाव्हाट्सएप-मेल से भेजो संदेश,डिजिटल का दौर अब आया…। मिलने-जुलने की रीत नहीं अब,वीडियो कॉल से काम चलातेसलाह-मशविरे ग्रुप चैटिंग पर,डिजिटल का दौर अब आया…। बाजार जाकर क्यों समय गंवाए,ऑनलाइन समान मंगवाएंगूगल बाबा से पूछें हर बात,डिजिटल का दौर अब आया…। मन के भाव अब … Read more

इस नवरात्रि कुछ नया करें

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* इस नवरात्रि,कुछ नया करेंमाँ दुर्गा की उपासना,कुछ अनोखा करें। व्रत का नवीन संकल्प लें,वंदना का रूप कुछ हट के होमन की शुद्धि प्रतिदिन,भक्ति और श्रद्धा से करें। प्रथमा में अपने,आक्रोश को त्याग दूँद्वितीया में लोगों,को आंकना छोड़ दूँ। तृतीया में अपने,गिले-शिकवे त्याग दूँचतुर्थी में खुद को और,दूसरों को क्षमा कर सकूं। … Read more

नारी, तुम अब उड़ना सीखो

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ नारी तुम अब उड़ना सीखो,छोड़ो, सौंदर्य और साज-श्रृंगारदेह के हैं सब माया-जाल,है नश्वर, ऐ सुनो मानवीधूल फांकते नंगे पैरों से,कंकड़-कंकड़, पत्थर-पत्थरपाँवों को घिसना सीखो,नारी तुम अब चलना सीखो। नभ से नहीं नभचर से तुम,दाने- दाने को चुगना सीखोचलो वहाँ पर धूप जहां पर,काले होंगे तेरे, रूप तो क्या ?मैले होंगे … Read more

माँ शैलपुत्री स्वीकारो प्रणाम

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* नवरात्री के प्रथम चरण में माँ शैलपुत्री स्वीकारो प्रणाम,आज मेरे घर पधारकर माता रानी तुम नित करो विश्रामसमस्त सृष्टि सजी धजी है करती तुम्हारा स्वागत है,हरी चुनरिया ओढ़कर प्रकृति कर रही आवभगत हैलता वनिताएं फूल खिलाकर करती तुम्हारा स्वागत है,माता रानी आओ करते हम पलक-पावडे बिछाकर स्वागत है। मैया तुम्हारे स्वागत … Read more