कल किसने देखा यहाँ
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** रहना सत्पथ पर सदा, परहित हो हर काम।कल किसने देखा यहाँ, कब हो देख विराम॥कब हो देख विराम, छोड़कर चल दें मेला।सबका छूटे साथ, सभी माया का खेला॥कहती…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** रहना सत्पथ पर सदा, परहित हो हर काम।कल किसने देखा यहाँ, कब हो देख विराम॥कब हो देख विराम, छोड़कर चल दें मेला।सबका छूटे साथ, सभी माया का खेला॥कहती…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** जब तक तन में साँस है, करना तुम सत्काम।मिलती मन को शान्ति है, और जगत में नाम॥और जगत में नाम, भलाई सबकी करना।झरता जैसे नीर, बिना स्वारथ के…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रोटी कपड़ों के बिना, जीवन है लाचार।जीवनभर करता मनुज, सही-गलत व्यापार॥सही-गलत व्यापार, काम निशि दिन वह करता।रहता भूखे पेट, ध्यान वह सबका रखता॥करता मन से द्वेष,…
आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** रोकें मिलकर बाल श्रम, समझे मनुज सुजान।बच्चों के इस कार्य से, बाधित है उत्थान॥बाधित है उत्थान, बालपन कोमल होता।शिक्षा से रह दूर, नित्य ही सबकुछ खोता॥धर लें…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** कहते जग में लोग हैं, माँ हैं बहुत महान।पापी भी तरते यहाँ, पूजे सकल जहान॥पूजे सकल जहान, जगत जयकारा करता।आता जो दरबार, उसी की झोली भरता॥पाते दया महान,…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीवन में हो शुद्धता, तो मिलते भगवान।अंतर में शुचिता पले, तब हो प्रभु का भान॥तब हो प्रभु का भान, विधाता को हम जानें।कर नित मंगलगान, वंदगी…
आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** कलयुग का मानुष बुरा, देख खड़ा है मौन।लुटती बाला रो रही, न्याय दिलाए कौन॥न्याय दिलाए कौन, लाज है खोती नारी।दुष्ट मनुज स्वाभाव, कहे नारी अवतारी॥युग यह कहता…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* हमको मानुष तन मिला, ईश्वर का वरदान।व्यर्थ न इसे गँवाइए, कहते सुधी सुजान॥कहते सुधी सुजान, कर्म निष्काम करें सब।निकल गया जो काल, नहीं पाएंगे वो अब॥पाएं…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दुनिया है ये अजनबी, भांति-भांति के लोग।विषय रसों को भोगता, घेरे उसको रोग॥घेरे उसको रोग, कष्ट जीवन में पाता।कोई नहीं सहाय, स्वार्थ का है हर नाता॥जो…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* हिन्दी की बिन्दी... हिंदी भाषा हिंद की, आन बान अरु शान।संस्कृत इसकी मात है, लिपी नागरी जान॥लिपी नागरी जान, गर्व हम इस पर करते।इसमें नाना छंद,…