धर्म भूल रहा इंसान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जग में अपना धर्म ही, भूल रहा इंसान।करता आज अधर्म वह, त्याग रहा ईमान॥त्याग रहा ईमान, स्वार्थ में डूबा जाता।करता वह अन्याय, झूठ को ही अपनाता॥काम क्रोध मद लोभ, भरे उसकी रग-रग में।भूल रहा है धर्म, आज मानव इस जग में॥ त्यागें सभी अधर्म को, अपनाएं निज धर्म।गीता भी कहती यही, … Read more

कल किसने देखा यहाँ

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** रहना सत्पथ पर सदा, परहित हो हर काम।कल किसने देखा यहाँ, कब हो देख विराम॥कब हो देख विराम, छोड़कर चल दें मेला।सबका छूटे साथ, सभी माया का खेला॥कहती ‘सरला’ बात, सभी का है ये कहना।जीवन के दिन चार, सफल करके ही रहना॥ परिचय-आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर राजकीय उच्च … Read more

करना सत्काम

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** जब तक तन में साँस है, करना तुम सत्काम।मिलती मन को शान्ति है, और जगत में नाम॥और जगत में नाम, भलाई सबकी करना।झरता जैसे नीर, बिना स्वारथ के झरना॥कहती ‘सरला’ बात, किया हो जो भी अब तक।करना पर उपकार, प्राण काया में तब तक॥ परिचय-आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर … Read more

रोटी से जीवन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रोटी कपड़ों के बिना, जीवन है लाचार।जीवनभर करता मनुज, सही-गलत व्यापार॥सही-गलत व्यापार, काम निशि दिन वह करता।रहता भूखे पेट, ध्यान वह सबका रखता॥करता मन से द्वेष, रखे जो नीयत खोटी।पाय नहीं सुख-चैन, बिना कपड़े अरु रोटी॥ रोटी से जीवन मिले, तन-मन भरता जोश।जिनको मिलती खूब है, वे खो देते होश॥वे खो … Read more

बाल श्रम को रोकें

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** रोकें मिलकर बाल श्रम, समझे मनुज सुजान।बच्चों के इस कार्य से, बाधित है उत्थान॥बाधित है उत्थान, बालपन कोमल होता।शिक्षा से रह दूर, नित्य ही सबकुछ खोता॥धर लें उत्तम मार्ग, बढ़ें वे नित पढ़-लिखकर।होवे पूर्ण निषेध, इसे सब रोकें मिलकर॥ उत्तम जीवन हम गढ़ें, यही हमारा फर्ज।शिक्षा के शुभ मार्ग में, नाम करायें … Read more

तपस्या

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** कहते जग में लोग हैं, माँ हैं बहुत महान।पापी भी तरते यहाँ, पूजे सकल जहान॥पूजे सकल जहान, जगत जयकारा करता।आता जो दरबार, उसी की झोली भरता॥पाते दया महान, शरण में जो हैं रहते।दया सिंधु है मात, जगत में सब हैं कहते॥ परिचय-आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर राजकीय उच्च मा.विद्यालय … Read more

ईश्वर के प्रति

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीवन में हो शुद्धता, तो मिलते भगवान।अंतर में शुचिता पले, तब हो प्रभु का भान॥तब हो प्रभु का भान, विधाता को हम जानें।कर नित मंगलगान, वंदगी को पहचानें॥सपने हों साकार, चेतना हो तन-मन में।ईश्वर की जयकार, नित्य ही हो जीवन में॥ खिलता है जीवन तभी, जब है उर निष्पाप।कर्म अगर होते … Read more

कलयुग

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** कलयुग का मानुष बुरा, देख खड़ा है मौन।लुटती बाला रो रही, न्याय दिलाए कौन॥न्याय दिलाए कौन, लाज है खोती नारी।दुष्ट मनुज स्वाभाव, कहे नारी अवतारी॥युग यह कहता आज, नहीं है ये भावानुग।सिसक रही है आज, देख लो ये है कलयुग॥ कलयुग का यह हाल है, अपने रखते बैर।भाई-भाई लड़ रहे, पूछें कभी … Read more

मानुष तन वरदान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* हमको मानुष तन मिला, ईश्वर का वरदान।व्यर्थ न इसे गँवाइए, कहते सुधी सुजान॥कहते सुधी सुजान, कर्म निष्काम करें सब।निकल गया जो काल, नहीं पाएंगे वो अब॥पाएं शुभ परिणाम, जीवन मिला है सबको।शुभ अपनाएं कर्म, मिला शुभ अवसर हमको॥ पाएं हम वरदान ये, करें सदा सत्कर्म।बुरा कभी सोचें नहीं, यही मनुज का … Read more

दुनिया अजनबी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दुनिया है ये अजनबी, भांति-भांति के लोग।विषय रसों को भोगता, घेरे उसको रोग॥घेरे उसको रोग, कष्ट जीवन में पाता।कोई नहीं सहाय, स्वार्थ का है हर नाता॥जो करता सत्कर्म, याद रहती जीवनियाँ।वरना भूले लोग,बड़ी विचित्र है दुनिया॥ लोग यहाँ है अजनबी, ये दुनिया वीरान।सभी अकेले हैं यहाँ, आपस में अनजान॥आपस में अनजान, … Read more