कुण्डलिया
सहना है हर दुःख को
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** सहना है हर दुःख को, सुख के दिन तो चार।बिना दुःख के सुख नहीं, रीत यही संसार॥रीत यही संसार, कर्म सबको है करना।प्यार मिले स्वीकार, किसी से क्यों है डरना॥कहे विनायक राज, किसी से कुछ मत कहना।भाग्य लिखा जो आज, सभी को सब कुछ सहना॥