यह ज़िंदगी रुकने न पाए
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कुछ लम्हों की दुर्लभ दुनिया, यह ज़िंदगी रुकने न पाए,मिले वक्त कर्त्तव्य निभाने, कदम राहें रुकने न पाएकहाँ नहीं मुश्किलें ज़िंदगी पंछी तूफ़ानों से डर जाएँ,पंख खोल उन्मुक्त व्योम में, क्या उड़ान भरने न पाएँ। राहें हों पाषाण नुकीले ठोकर खा गिरने न पाए,घाटी दर्रों नदियों जंगल हर विघ्न … Read more