पहले-अब

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** पहले जो खास था,आज वह आम होगया हैपहले सोच अलग थी,आज वह बदल गई। पहले स्वार्थी था,अब वह निस्वार्थी हैपहले कुण्ठित थे,आज स्वतंत्र है। पहले…

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अपनों की फटकार

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** अपनों की फटकार,जीवन जीने का मंत्र सिखाती है।हर चुभने वाली बात का,मकसद बुरा नहीं होता॥ परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’…

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‘रंग’ जीने का आधार

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* सोचता हूँजब कभी मैं,अगर होतीयह दुनिया रंगहीन! कैसा दिखताअम्बर-पानी!कैसी होती प्रकृतिऔर वसुंधरा हमारी। हरे, लाल, नीले, पीले आदिरंगों का होता कैसे बोध हमें,एक-सा होता खाना-पानीएक-सी…

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समय का रथ

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* तेज रफ़्तार से चलता है, समय का रथ,समय को किसी के प्रति, नहीं है स्वार्थ। समय का रथ किसी का, नहीं है गुलाम,चलेगा उस पथ पर,…

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मेहनत का महत्व

मंजरी वी. महाजनहमीरपुर (हिमाचल प्रदेश)*************************************** आलसी का जीवन में कहीं नाम नहीं होता,धीरज और मेहनत से ही पूरा हर काम होता। पसीने की बूँदें और मेहनत की गर्मी,सपने जो सरकार…

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शबरी के बेर

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** तकती दिन-रात राह मेरे मन बसे आप,बावरी-सी घूम-घूम राम ही पुकारतीमेरे जीवन आधार करती मैं बहुत याद,कुटिया मैं फूलों से नित ही सँवारती। बेर लाई तोड़-तोड़ जाती…

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‘गुरु’ गोविंद सरीखा

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** तोतली-सी आवाज को साध-साध कर,जिसने, वीणा की सी सुरीली सुरमई बनायाअंधकार भरे इस मानुष जीवन को नित,निरंतर सुरम्य उजाले के पथ पर चलाया। गुरु ज्ञान गुण…

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शिव परम-धुन, मेरी मन-धुन

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************* शिव तुम संग लागी परम-धुन लागी,तुम बैरागी बने हम भी बैरागी। जोगी धरे वेश प्रभु सबसे विशेष हो,सगरी माया तुमरे चरणों की दासी। कानन…

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मॉं-बाप ही भगवान

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* अंधविश्वास,इतना बढ़ गया है किमॉं-बाप को छोड़कर लोग,गैरों के पैर पड़ रहे हैं। अरे मूर्खों !कोई देहधारी भगवान होता नहींमॉं-बाप से बढ़ के कोई…

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संस्कार अनमोल

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** जीवन में संस्कारों का,बड़ा महत्व होता हैऔर संस्कारों में माता-पिता का,बड़ा महत्व होता है। बच्चों की चाल-ढाल से,पता चल जाता है व्यवहार काकिस कदर संस्कार मिले हैं,अपने…

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