भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* उलझन है बड़ी, इस भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में,पीछे छूट जाता है सब, इस भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में। न किसी की खबर है, न किसी का साथ,बस…

Comments Off on भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी

मैं अकेला…

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** मैं अकेला जब भी मुझे देखती हूँ,मैं नदी किनारे जा बैठती हूँना उत्तर मिले मेरे प्रश्नों का ?वो कल-कल सी बहती मुझे मोह लेती है। मैं…

Comments Off on मैं अकेला…

बदरा छाए हैं आसमान में…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ बदल घिर आए हैं आसमान में,अब इनका ही डेरा हैअब वह बरसेंगे,बदरा छाए हैं आसमान में। बादलों की यह उदारता,मेघों की बरखा ने दस्तक दे…

Comments Off on बदरा छाए हैं आसमान में…

अकेलापन

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* आया था अकेला,जाना भी है अकेलाआने-जाने के इस सफ़र में,रह गया मैं अकेला। पंछी जब उड़ गए उपवन में,नीड़ छोड़ खुले गगन मेंरह गए हैं हम…

Comments Off on अकेलापन

बुराई में अच्छाई ढूँढिए

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* कौन कहता है किकैकेयी बुरी थी,अपना स्वार्थ सिद्ध करनाक्या बुरी बात है ?हर कोई तो अपनास्वार्थ सिद्ध करता है,कैकेयी ने कियातो क्या बुरा किया…

Comments Off on बुराई में अच्छाई ढूँढिए

रिश्तों का नवीनीकरण

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* शहरों का शहरीकरण हो गया है,रिश्तों का नवीनीकरण हो गया है। चाचा-चाची, बुआ,भाभी का रिश्ता,आँटी-अंकल का कथन हो गया है। बुजुर्गों को रखता नहीं कोई घर अब,यहाँ…

Comments Off on रिश्तों का नवीनीकरण

सोचने दो और

कपिल देव अग्रवालबड़ौदा (गुजरात)************************************* सोचने दो और थोड़ा सोचने दो और, किस तरह से कम करें हम यंत्र सा यह शोरसोचने दो और। खा गया यह शब्द कोमल, पी गया…

Comments Off on सोचने दो और

साठ से लगता भय

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* बहुत भय लगने लगता है, उम्र साठ से,जीना भूल जाते हैं, रहना ठाठ-बाट से। बचपन जवानी सब, पीछे छूट जाता है,साठ का बुढ़ापा, नाता जोडने आता…

Comments Off on साठ से लगता भय

बीते समय की बात

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** बीते समय की बात काख्याल आया,तुम चलातीसायकल तुम्हारी खुद की,मैं किराए की चलाताप्रेम में अमीर दिखाने को रौब,झूठा था मगर प्रेम सच्चा। तुम खिड़कियों,छत से भीमेरा मन…

Comments Off on बीते समय की बात

बारिश का मौसम

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** मन के अंदर खिलते मधुबन,कभी मंद कभी तेज़ हवा मेंले जाते वे हौले-हौले,बीते समय के गलियारों में। धीरे-धीरे कहता कोई,नयन क्यों मूँदे मेरे प्यारेमौसम वही, वही है…

Comments Off on बारिश का मौसम