तकरार
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* प्रियतम, यदि बुलाया था मुझे प्यार से,तब क्यों! वक्त गुजार दिया तकरार से। ऊँचा महल, अटारी छोड़ कर आई थी,मैं तो सबसे नाता तोड़ कर आई…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* प्रियतम, यदि बुलाया था मुझे प्यार से,तब क्यों! वक्त गुजार दिया तकरार से। ऊँचा महल, अटारी छोड़ कर आई थी,मैं तो सबसे नाता तोड़ कर आई…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** जल रही धरा यहाँ,जल रहा है आसमाँताप का प्रकोप ये,दिखा रहा अलग जहाँ। वर्ष-वर्ष बढ़ रही,सोख पानी सब रहीकाट-काट पेड़ सब,हरीतिमा को हर रही। यह मानव का…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** अब रोम-रोम भी सरस हुआ,है हरष रहा मन प्रान अहा…कर्णों पर ज्यों मधु बरस रही,किसका है यह शुभ गान अहा…! व्याकुल वसुधा ग्रीष्म ताप से,कब से थी…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** स्कूल की आया की,ये अभिलाषाबिटिया भी पाए शिक्षा,इसलिए की नौकरीस्कूल के द्वार खोलने की। वो खुद के अनपढ़ होने से,ज़िंदगी की गति कीरुकावटों को,अच्छी तरह से अबसमझ…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** देखना एक दिन हम सब,रिश्तों को सिर्फ ये सोच कर खो देंगेकि वो मुझसे बात नहीं करता,तो ठीक है मैं भी नहीं करूँगा। जब तक अहंकार का…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचा मुझको विधाता ने, यही सम्मान है मेरा।बने दाता पिता-माता, यही अभिमान है मेरा॥ मिली शिक्षा गुरू से देवता वे हैं विधाओं के,दिखी लीला मुझे…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* दिल की बात लिखता हूँ,कोई पढ़ने वाली चाहिएप्रेम की भाषा लिखता हूँ,कोई पढ़ने वाली चाहिए। फूल बिखरा दूंगा राहों में,कोई चलने वाली चाहिएमुहब्बत का…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** कई जगह पर महामारी है,और कहीं मारा-मारी है कहीं पे लूटपाट और दंगा,आज आदमी बना लफंगा। एक-दूसरे से सब जलते,ए-दूसरे को सब छलते,अपने हित साधन में रत हैंदूजे…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जब-जब वन में दादुर, मोर, पपीहा बोले,तब मन पिया-पिया कह के, जिया डोले। राजहंस जब दे जाता है संदेश प्यार का,आकुल मन ढूँढता है पथ, इन्तजार…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मेरी परछाई,मेरा साथ निभाती हैजाने क्यों इतना,प्यार जताती है। मैंने पूछा,-क्यों तुम मेरेपीछे-पीछे चलती हो ?उसने मुस्कुरा कर कहा,-एक मैं ही तो हूँ,जो तेरा साथ निभाती हूँ।वरना…