वक्त़-एक सबक

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** हमें बहुत-कुछ सिखाता है आता-जाता वक़्त,अक्सर बचपने को भी काबिल बनाता है वक्त़। रूलाता है तो, हँसाता भी है वक्त़,हार से जीत भी तो दिलाता है यही…

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हसरतें अधूरी हैं कुछ

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** जीवन में कुछ करना चाहा, पर चाह कर भी कुछ कर न सके,कुछ बीमारी ने तड़पाया, कुछ अपनों ने ही जख्म दिए। जब-जब भी कुछ करना चाहा,…

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प्रजातंत्र

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** कहते हैं प्रजातंत्र में जनता की सरकार,पर सब-कुछ है उलटा-पुलटा पैसे से है प्यार। छोटी-छोटी चीज पर बिक जाता है वोट,कितनी जनता नहीं समझती किसको डालूँ वोट!…

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तो कोई बात बने

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* इन हसीन वादियों में तेरा साथ हो,तो कोई बात बने। मौसम की रंगीनियों का मजा लें हम,तो कोई बात बने। फूलों से भी नाजुक…

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करो सब मिल गहन चिंतन

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)... भूमि का खनन,इमारतों का चलनसड़कों का चौड़ीकरण। पेड़ों का निर्वनिकरण,पानी के सारे स्रोतों कासूखने का मूल कारण। गाँवों का…

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लोकतंत्र की ताकत

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** मना लिया जनता नेता ने,पांच वर्ष का पर्व विशेषदंग खड़े हैं मीडिया पोल,धरे रखे सारे अंदेश…। देखो तो प्रत्यासी भेष,झुक-झुक कर दे जाते भेंटवारी जाते पाने वोट,उजले…

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बदल गई है सूरत

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’जयपुर (राजस्थान)*********************************************** सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष).... हरे-भरे पेड़ थे,नीला था आसमान,कल-कल बहती नदियाँ,स्वच्छ पानी जहान। पक्षियों की चहचहाहट, फूलों की महक थी,कुदरत की…

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आसरा तलाशते राहगीर

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)... गर्मी में आसरा तलाशते राहगीर,कभी खुद को तोकभी अपने वाहनों को,धूप से बचाने की चिंता मेंजैसे हो रहे हो दुबले।…

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कोई मानवता नहीं

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ बेकसूरों की जान कब तक लेते रहोगे,हाथों में बंदूक लिए कब तक आंतक फैलाओगे ?अरे आतंक के तुम हो काले चेहरे,तुम्हारे अंदर कोई मानवता नहीं…

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अब तो होश में आओ सब

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)... आज हो रहा पर्यावरण का विनाश,समझ नहीं रहा है मानव, पेड़ हैं खास। गर पेड़ न होते तो हमारा…

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