ज्योतिपुंज
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* बनकर तुम एक ज्योति पुंज फिर, मेरे आँगन में सज जाओ,मेरे मन-मंदिर में बस कर, दीप से दीप जलाते जाओ। अन्तर्मन की मेरी पीड़ा व्यथित…
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* बनकर तुम एक ज्योति पुंज फिर, मेरे आँगन में सज जाओ,मेरे मन-मंदिर में बस कर, दीप से दीप जलाते जाओ। अन्तर्मन की मेरी पीड़ा व्यथित…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** आओ मिलकर प्रण करें,धरती-आकाश को स्वच्छ करेंपेड़ बचाएं, जल बचाएं,सब मिलकर ये जतन करें। प्रकृति है जीवनदायिनी,क्यों इससे खिलवाड़ करें ?फूले-फले सब जीव और जन्तु,इनके लिए कुछ…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** शुभ घड़ी है,शुभ दिवस है,राष्ट्र का संदर्भ हैआइए इस पर्व पर,कुछ काम की बातें करें हम। जब से मिली आज़ादी,हमने प्रगति तो की है मगरराह से भटके…
बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)... दहक रही है धरती,गगन उगले आगओ मानव कब तक सोएगा,अब तो स्वप्नों से जाग। वन, जंगल, पेड़ कटे,पशु-पक्षी गए भागअपना-अपना…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** तुम मुझे चाँद ना कहो,तुम तो खुद सूरज होजो जलते हो,क्योंकि, दिन में राज तुम्हारा। मैं बादल की ओढ़नी ओढे,चाँदनी की शीतलता सेरात में दिल जीत लेती…
कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* दर्द कैसा भी हो, छिप नहीं पाता है,आँखों के जरिए बयां हो ही जाता है। टूट जाते हैं हम, जब अपने ही साथ नहीं निभाते हैं,हमेशा…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)... अदंर बाहर में धुँधला-सा,तम फैला चहुँ दिशि गहरा -सामैं क्यों कह दूँ अम्बर रोता,और क्यों पूँछू क्यों उलझा-सा। वृक्ष कटे…
मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)... अगर नहीं तू अब चेतेगा,कल निश्चय पछताएगामुफ्त गंवाएगा जीवन धन,धरा सभी रह जाएगा। अगर नहीं हो पेड़ धरा पर,जीवन…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मत कर तू अभिमान,क्योंकि तू यहाँ पर है मेहमानतेरा यहाँ कुछ भी नहीं,फिर क्यों है तुझे है गुमान। दो पल की जिन्दगी है,जिसमें पल का…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** सब 'धरा' रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)..... कैसी विपदा आन पड़ी है,नज़र नहीं आती हरियालीसूख गए हैं बाग-बगीचे,लपट दें रही गरम बयाली। कैसे झरने गीत सुनाएं,बांध जोहड़…