हे बुद्ध

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* हे बुद्ध, हे अर्हंत,जिसका कोई शत्रु नहींशत्रु मानव या प्राणी नहीं,मानव के मन के शत्रुकाम, क्रोध, लोभ,मोह, मत्सर और अहंकारइन सब पर तुमने विजय हीनहीं पाई,बल्कि,…

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बस यही अनंत है

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* चार कदम बस कम है,अनंतकाल तक पहुँचने कोया फिर किसी अनजान जहाँ,जो रोशनी से झिलमिलाएया अंधकार के गर्त में डूबे। खोज नित्य जारी है,पथ पर काँटे…

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मैं तो जनता हूँ जनाब…

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मैं तो जनता हूँ जनाब,पन्ने दर पन्ने की खुली किताबमुझे पढ़ने का देते हैं सभी सुझाव,जो पढ़े न मुझको उसे देती हूँ जवाबघटना के बाद फिजूल…

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जीवन संघर्षों वाला

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** कठिन हो रहा जीवन सबकानहीं अमृत का अब प्याला,जी सके तो जी ले हँस केये जीवन संघर्षों वाला…। अंधेरा नित घेर रहा हैदिखता नहीं उजाला,जी सके तो…

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सैनिक हैं जब तक…

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** घर में हम अपने सुरक्षित हैं तब तक,सीमा पर तैनात हैं सैनिक जब तकबात सही कहता कोई सुनिए तो ध्यान से,सैनिक हमारे हम सबको मिली सौगात हैं…

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सोचा, इश्क़ करूँ

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** इश्क़ करने के लिए,सोचना नहीं पड़तावो स्वयं ही हो जाता है,मन किसी की यादों मेंखो जाता है। इश्क़ कोई काम नहीं,जो इसे सोच कर करेंदिल…

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सुख-दु:ख के बादल

डॉ. सुनीता श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)*************************************** न जाने कितने,सुख-दु:ख के बादलआते-जाते रहे…मेरे इर्द-गिर्द मंडराते रहे। कितनी बार,कठिनाइयों की लहरेंमुझसे टकराती रहीं…मुझे न डिगा सकीं,तो मेरे हिलते प्रतिबिम्बको देख,मेरा उपहास उड़ाती रहीं। मैं…

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पूर्णिमा वैशाख में अवतरित गौतम सिद्धार्थ

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** बुद्ध पूर्णिमा (२३ मई) विशेष... लुम्बिनी (नेपाल) जन्म स्थान से बुद्ध हुए यथार्थ,सत्य, अहिंसा, शांति बुद्ध में कई भावार्थबोध गया (बिहार) ज्ञान से पनपे अंदर…

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जल ही जीवन

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** जल ही जीवन है,नहीं इसे तुम व्यर्थ बहाओभावी पीढ़ी के लिए,जग को स्वर्ग बनाओ। जल है तो कल है,जन-जन को समझाओताज़ा स्वाँस अगर लेनी है,हरे-भरे तुम पेड़…

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अब कब, तब जब

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* अनुभव होता है कब,काम बिगड़ जाता है तब। राह मिलती है कब,भटकना पूरा होता है जब। दया आती है कब,दर्द दे दिया जाता है…

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