काश! मैं अंधा होता….

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** काश! मैं अंधा होता तो,नहीं देख पाता इनकुटिल और हृदय से,गंदे इंसानों को। काश! मैं अंधा होता तोनहीं देख पाता समाज में,अभद्र परम्पराओं को। काश! मैं…

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हम मरे !

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** लोग जीते गये, जीते गये, जीते गये,कि एक दिन मर जायेंगेहम मरते गये, मरते गये, मरते गये,कि जियेंगे शायद कभी…मरते हुए हर बार,अपनी बची ज़िन्दगी खत्म…

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जय-जय भारत देश

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जय-जय भारत देश हो, बढ़े तुम्हारा मान,सारे जग में श्रेष्ठ है, कदम-कदम उत्थान।धर्म,नीति,शिक्षा प्रखर, बाँटा सबको ज्ञान-भारत की अभिवंदना, दमके सूर्य समान॥ तीन रंग की चुनरी,…

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वक्त़ जाया ना कर

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** फ़िज़ूल की बातों में,वक़्त जाया न करराह कोई मांगे,भरमाया न कर। वो करता है हिसाब,नेकी और बदी केकरके एहसान किसी पे,जताया न कर। सुना है, बिन…

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आत्म-अभिलाषा

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** कल को किसने देखा,जो हुआ उसे तो देखाजो हो रहा वो तो देख,रहा मैं और ये जमाना। प्रश्न उठे तो उठे वो,जो सटीक हो उसीके हित में…

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सूनापन

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पत्नी के गुजर जाने का दुःख,घर सूना कर जाताअलमारी जब खोलता,साड़ियों से भरीकई रंग पसंद दिखाकर ली थी,वापस बंद कर देताक्योंकि आँखों में आँसू,भर देती रंगबिरंगी साड़ियाँ।…

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परम्परा

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह जीवन स्त्रोत है,सम्पूर्ण सद्भाव और से,रहता ओत-प्रोत है,एक वैज्ञानिक विचार हैपूर्णतः सहमत होकर,रहने वाला अवतार है। परम्परा जीवन को आनंदित,कर खुशियाँ भर देती हैशालीनता और सुकून,आहिस्ता-आहिस्ता भरकरअन्तर्मन को,आनंदित…

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फाल्गुनी हवा

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** फाल्गुनी हवा-सी,तुम्हारी स्मृतियों की शीतलताकर देती है मन शीतल,तुम्हारी उन्मुक्त हँसीभर देती है वादियों की,खाली झोलियाँ। फूलों के उदास चेहरों पर,ठहर जाती हैओस की नन्हीं-नन्हीं बूंदें,झूमती लताओं…

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जीवन की दौड़…

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** जीवन की इस दौड़ में राही…तुझे अकेला चलना है। कहने को तो साथ हम हैं,तुझे किस बात का ग़म हैलेकिन इस जीवन की राह में…राही तुझे…

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दानवीर कर्ण

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** निर्मल नीर के सरोवर तीर,बैठ तरूवर की छायाकर्ण कर रहा था ध्यान,त्याग वसुधा की माया। तभी दैदिप्यमान रवि,फैल गया चहुँ ओरस्वंय दिनकर खड़े,सामने उसके ठौर। दिनकर बोले-'हे…

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