सुवासित रंग
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** सुवासित रंग प्रीति का डाल,हो गया मुख प्रभात का लालसुहागिन सजा सुंदरी भाल,बाल कवि निकला मले गुलाल। अरुण मुख सुषमा को अवलोक,अति सरस सुंदर दिवस विलोककपोलों पर…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** सुवासित रंग प्रीति का डाल,हो गया मुख प्रभात का लालसुहागिन सजा सुंदरी भाल,बाल कवि निकला मले गुलाल। अरुण मुख सुषमा को अवलोक,अति सरस सुंदर दिवस विलोककपोलों पर…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* जय सरदार भगत हुंकार जगत,आज़ादी के मतवाले शत्रुञ्जयजब सिंहनाद सुन भगत सिंह प्रवर,घबरा थर्राया शत्रु भीत पड़े। हे शौर्यपुत्र माँ भारत प्रणाम,जय भक्त राष्ट्र…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** चाहती हूँ मैं लिखूँ ख़त मगर मैं कैसे लिखूँ,ज्ञात मुझको तो तेरा ठौर-ठिकाना ही नहींदेखना चाहूँ तुझे कैसे मैं दीदार करूँ,कैसे एतबार करूँ कुछ भी तो मालूम…
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** किसी से दर्द का रिश्ता होता है,किसी से प्यार का रिश्ता होता हैफर्क क्या है दोनों में,क्या है अन्तर'रिश्ता' तो होता है। किसी को याद करते…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ आओ इस नये युग में,नवाचार सृजन की कामना करेंबुराईयों से दूर रह कर,नव प्रभात की बेला मेंएकजुटता के इस समावेश में आगे बढ़ें। वैचारिक मंथन…
संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** आज जागतिक हवामान दिन है,हम सब और कुछ नहींबस हवा में पलती मीन हैं। हवा से ही तो हमारी हवा है,हवा से ही तो हम जवां…
संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* मैं और तुम थे अलग-अलग,पता नहीं! कब और कैसेएक हो गए, हम हो गए…,वक्त के साथ चलते रहेसाथ-साथ एक पटरी पर,समानांतर रेल की तरह। एक दिन…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** चोरों की करते शिकायत जिनसे,वे खुद भी चोरों से मिले हुए हैंमाजरा समझ में आने लगा है कि,चोरों के चेहरे क्यों खिले हुए हैं ? शिकायत…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** कविता कहाँ से निकली है ?यह प्रश्न अगर पूछे कोईक्या उत्तर देना बताती हूँ,,यह बात तुम्हें समझाती हूँ। मन के अन्दर कुछ उमड़ रहा,बाहर आने को मचल…
संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** क्षिप्रा प्रिय तटिनी, अमृतधारिणी, जलवाहिनी,धरागर्भा विन्ध्यअर्भा पतितपावन ओ! प्रवाहिनीमालव प्रदेश सिंचीनी दिव्यगर्भा वसुंधरा मानिनी,चर्मण्वती विलयीता, अनुताप लिलयिता पुण्यधारिनी। महांकाल स्वयं विराजे पावन तटपर रजनीगंधा,सान्दिपानी आश्रम में…