भूख है लाचारी

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** भूख, ग़रीबी है लाचारी,कितनों की यह है हत्यारीसबसे बड़ा शत्रु समझो तुम,इसके पीछे दुनिया हारी। भूख की अग्नि जब जलती है,कहाँ किसी की वह सुनती हैपाप-पुण्य और…

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आई होली, लाई खुशियाँ…

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** रंग बरसे… (होली विशेष)... होली आई, होली आई,साथ में खुशियाँ है लाईरंगों का त्यौहार है आया,सभी के घर खुशियाँ है लाया। रंगों के इस त्यौहार में,भूल…

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धरती का श्रृंगार करो

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** प्रकृति है जीवन दायिनी,मत इसका तिरस्कार करोवन-उपवन खेत-खलिहानों से,धरती का श्रृंगार करो। मत तोड़ो पुष्पों को,मत तनों का नुक़सान करोहरे-भरे पेड़ काटकर,पर्वत मत सुनसान करो। रंग-बिरंगी फुलवारी…

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आओ रचें इतिहास दुनिया में

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** 'विश्व कविता दिवस' (२१ मार्च) विशेष... आओ मनाएँ दुनिया में 'विश्व कविता दिवस',प्राचीनकाल से सृजक हमारा देश दिवसश्लोक, दोहा, संस्कृत कालखण्ड को अर्पित दिवस,सारे कवि…

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आज़ादी का मतवाला

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** आज़ादी का युवा जोश क्रांति का मतवाला भगत,बचपन से दृढ़ संकल्पित स्वाधीनता का दीवाना भगतब्रिटिश के छक्के छुड़ाता मस्ती में था सिंह भगत,'इंकलाब जिंदाबाद' के…

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आओ, सनातन की ओर चलें

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* गहन तिमिर से नाता तोड़ें, उजियारे को अब भाएँज्ञान, चेतना, नव विवेक का, दीपक सतत् जलाएँ।यूँ ही नहीं कभी हम भटकें, अब व्यर्थ न आँख मलें,वापस…

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सात रंगों का त्योहार

मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’मुम्बई (महाराष्ट्र)****************************************** रंग बरसे… (होली विशेष)... यह बेला है रंगों की,जिसमें है साथी-संगी। पकवान हैं मीठे-मीठे,जिसे खाने में सभी जुटे। त्योहार है यह बहार की,फागुन में बरसती फुहार…

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मन मेरा सुन्दर

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** मन मेरा सुन्दर,तन कुछ समझे नामन कहे भज ले हरि,तन यहाँ मोह से परे ना। कहता मन,तन को ना देखोहै नहीं यह तेरातजना है यह…

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फागुन की बहार

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** फागुन की बहार आई,करके श्रृंगार आईटेसुओं के रंग की,छटा बिखेर लाई है। पवन झकोरे चलें,डालियाँ भी झूम उठींमधुबन में फिर से,बहार कोई आई है। लाल, गुलाबी, पीत,परागी,…

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चैत में ‘राम’ छाँव

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** राम चैत की चिलचिलाती धूप में नीम की ठंडी छाँव है,राम भरी ग्रीष्म में औघड़ पीपल पर लहलहाती पत्तियों का गाँव हैराम शिशिर की सांवली काया…

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