जागो जन, जागो अब तो…

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* मुफ्तखोरी और राष्ट्र का विकास... हो रहा है शोषण कितना हर इंसान जूझ रहा,ठगी और मुफ्तखोरी से सबका लालच बढ़ रहा। रही नहीं हमदर्दी किसी से,…

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तुमको पाना

सुनीता रावत अजमेर(राजस्थान) ******************************************* पाना मुझको,जितना, जो भीतुमको पाना…। सखा सहज तुम,केशव मेरेहर पल यह मन,तुमको टेरे…। लगे अधूरा,जीवन कातुम बिन हर गाना…। मन की सच्ची,अभिलाषा कोदया-क्षमा की,परिभाषा को…। जितना, जो…

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उड़ूंगी मैं सारा जहान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** पापा तुमने किताब दी, स्कूल दिया,और दिए सुन्दर सुन्दर परिधानआगे बढ़ थोड़ी और आजादी दे दो,फर-फर करती उड़ूंगी मैं सारा जहान। जग से लड़कर मुझे…

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यदि तुम…

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** यदि तुम विवेक सम्पन्न हो,धर्म की वैज्ञानिकता को समझते होअभ्युदय व निःश्रेयस की सिद्धि करते हो,तो निश्चय ही तुम पुरुष हो…। यदि तुम ऊर्ध्वगामी हो,प्राकृतिक सम्पदा…

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कृष्ण खोजती रहती हूँ

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* विश्वास नहीं है अब तो मुझको, इन वासंती फूलों पर,काँटों के आगोश में रहकर, ये पलते हैं शूलों पर। इसकी हर डाली में काँटे, लता…

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बेरिया के आँसू…

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)*************************************** बेरिया लाली-लाल होकर कर रही है इंतजार बच्चों का,पर पता नहीं, बच्चे कहाँ खो गए हैं ? गाँवों-शहरों की गलियों में, जंगलों की जालियों में,अनगिनत बेरिया…

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सुबह-सवेरे

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** चलती सुबह सवेरे शीतल, प्यारी-प्यारी हवाएँ,किरण-भोर की उजली-उजली, झाँकने घरों में आएँ। सूनी-सूनी सी सड़क गली शटर दुकानों के है बंद,छिप गया जा कर चाँद कहीं, दिखती…

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कर लो तौबा भैया जी

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* मुफ़्तखोरी और राष्ट्र का विकास.... कहती हूँ दो बातें तुमसे,सुनो ध्यान से भैया जीदेश तरक्की नहीं करेगा,पछताओगे भैया जी। मुफ्त रेवड़ियाँ जो बाँटते,कहाँ सोचते भैया जीकर्म…

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अपना बनाना चाहता है

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** हर कोई अपना बनाना चाहता हैदिल की धड़कन का तराना चाहता है। यह कशिश चेहरे की केवल चार दिन,ज़िंदगी भर आज़माना चाहता है। है अभी जो ख़ुशनुमा…

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मुफ्तखोरी रोग

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** मुफ्तखोरी इंसान को,कर देती लाचारमुफ्तखोरी का माल खा कर,नहीं सुधरते उसके आचार। 'मेहनत' शब्द को आलसी इंसान,राष्ट्र के विकास को ले जाता गर्त मेंराहें नहीं सूझती विकास…

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