आया फिर चुनाव
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** आया फिर से चुनाव, दिया चयन का सुझाव,राजनीति है भैया, बढ़ा सभी दलों का भावकहीं व्यक्तिगत प्रभाव, कहीं दलगत प्रभाव,कहीं धार्मिक दुराव, कहीं जातिगत दुराव।यहाँ…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** आया फिर से चुनाव, दिया चयन का सुझाव,राजनीति है भैया, बढ़ा सभी दलों का भावकहीं व्यक्तिगत प्रभाव, कहीं दलगत प्रभाव,कहीं धार्मिक दुराव, कहीं जातिगत दुराव।यहाँ…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मेरी लेखनी आज फिर से, एक सच्चाई यह लिखती हैकि दुनिया के हर चौराहे पर, यूँ कितनी भीड़ देखती है ? पर पुकारते मदद को हैं…
संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)*************************************** बज रहा है ब्रह्मगिरी पर डमरू घनन घनन घन घन,पैंजन के घुंघरू खनक रहे हैं छनन छनन छन छनशिव पार्वती निकले अम्बर से रवि करता चम…
प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)********************************** करती स्वयं को शिव को समर्पित करती उनका आराधन,माया के प्रहार से बच कर करती अपने शुभ का चयन। सब संभाल लेंगे शिव-शंभो उनके…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आवाज़ और आगाज़ समझ, बस भारत माँ की सीमा पररखेंगे आन-बान-सम्मान, बस रक्षा अर्पित तन सीमा पर। बस रोक सको तो रोक खली, देशान्त…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** कोई काग़ज़ नहीं ये तो दिल है मेरा,खोल कर मैंने सब कुछ बयाँ कर दिया। क्या करूँ कुछ छुपाने की आदत नहीं,दिल में जो कुछ भरा था…
श्रीगंगानगर (राजस्थान)। विविधा सृजन सम्मान-२०२४ की घोषणा कर दी गई है। सभी साहित्यकारों को संस्था के स्थापना दिवस (२० जनवरी २०२५) पर आयोजित सम्मान समारोह में सम्मानित किया जाएगा।संस्थान की…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** बचपन का प्यारा गाँव कहाँ,पनघट का पीपल-छाँव कहाँछन-छन घुँघरू का पाँव कहाँ,गोधूलि घंटी गौ माई कहाँ ?अब बाल्य काल परछाईं कहाँ,गौ मल-मूत्र लेप-लिपाई कहाँभारत की…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ 'पत्ते' जब तक डाली पर रहते हैं,वह बहुत खुश रहते हैंपर सुख-दु:ख की इस बागडोर में,वह कब डाली से टूट कर गिर जाएं-पता नहीं…। जीवन…
कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* ज़िंदगी के इस सफ़र में,कहाँ कोई साथ निभाता हैचलना पड़ता है अकेले,काँटों में भी पैर जमाना पड़ता है। यूँ ही आसान नहीं होती ज़िंदगी,हर कदम पर…