अनगिन रूप
मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* अनगिन रूप धरते भगवान,सब पर प्यार लुटाते हैंमाता बनकर पोसें-पाले,हँसना हमें सिखाते हैं। लोरी गाकर कभी सुलाते,गोदी कभी उठाते हैंपिता रूप जब धरे दयामय,कंधा हमें बिठाते…
मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* अनगिन रूप धरते भगवान,सब पर प्यार लुटाते हैंमाता बनकर पोसें-पाले,हँसना हमें सिखाते हैं। लोरी गाकर कभी सुलाते,गोदी कभी उठाते हैंपिता रूप जब धरे दयामय,कंधा हमें बिठाते…
प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)********************************** आवागमन का चक्र घूमता तुममें शिव!,तुमसे जनित हो तुममें विलय हो जाना है।स्वयं अजन्मे अंश रूप में मुझमें शिव!,भज-भज शिव को मैंने शिव हो…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** धूप हो या छाँव हो,पिता का अपने गाँव होचाहे मनुहार करे ताऊ,चाहे तंग करे दाऊ। बच्चे तो बच्चे होते हैं,वो मन के सच्चे होते हैंबुजुर्गों…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** बापू के आदर्श समझउन पर मानव यदि कार्य करें,मूर्त प्रेम मानव मानव काघृणा रहित परिवेश बने। ललित-कला दर्शन विज्ञानसब मानवता कल्याण करें,रीति-नीति सब विश्व प्रगति हितबढ़ें और…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** दम तोड़ती प्रदूषित हवा,शहरों से निकल कर पहुँच रहीगाँव की ओरअनदेखा कर रहे समस्या को लोग,स्वच्छ प्राणवायु को दूषित करने मेंलोग जरा भी हिचकिचा नहीं रहे। भाग-दौड़…
संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)*************************************** ज्योतिर्मठ की दरारें महज दरारें नहीं हैं,हिमालय और धरती का भीषण रुदन हैभगवन शंकराचार्य की उध्वस्त होती,तपोभूमि का क्रंदन और आक्रंदन है। आज मुझे घिर-घिरकर याद…
रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** प्रिय!,तुम्हारी प्रतीक्षा मेंजला देती हूँ कुछ दीपअनायास,तुलसी के आसपास! भर जाता है रोम-रोम में,तुलसी की सुरभि से लिपटातुम्हारा भाव!पत्तियों की ओट से झाॅंकतीजलती लौ,हर लेती है…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** बचपन के वह बीते पल छिन,उसका जाना लौट न पाना,बचपन में बढ़ने की इच्छा,बढ़ कर मन का बचपन जाना। नाटक पट लीला नौटंकी,जो पढ़ना न हो सौ…
वंदना जैन 'शिव्या'मुम्बई (महाराष्ट्र)************************************ अंतर्मन के रिक्त कैनवास पर,स्मृतियों ने कुछ चित्र उकेरे हैं। कुछ धूप से सुनहरे चटकीले,कुछ श्यामल से मेघ घनेरे हैं। एक मुस्कुराता उजला चाँद तुम-सा,दो चकोर…
राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** मैं झारखंड बोल रहा हूँ,प्रगति पथ पर डोल रहा हूँआँखों में लिए गम के आँसू,अपने दु:ख के पत्ते खोल रहा हूँ। जन्म हुआ मेरा सन…