करता जो सब अर्पण
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** शिक्षक समाज का दर्पण... राष्ट्र निर्माण की खातिर करता, अपना जो सब कुछ अर्पणऔर नहीं वह दूजा कोई, वह है, शिक्षक समाज का दर्पण। युगों-युगों से…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** शिक्षक समाज का दर्पण... राष्ट्र निर्माण की खातिर करता, अपना जो सब कुछ अर्पणऔर नहीं वह दूजा कोई, वह है, शिक्षक समाज का दर्पण। युगों-युगों से…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** दीप जलता बुझाओ न विश्वास का,आ भी जाओ कि मौसम है मधुमास का। मेरे आँगन में उतरा जो बच्चा कोई,फूल घर में खिला हर्ष उल्लास…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** निराशा छोड़ दो प्यारे कदम आगे बढ़ाना है,नहीं यूँ हौंसला छोड़ो तुम्हें कुछ कर दिखाना है। अँधेरा कब रहा हरदम सुबह बस आने वाली है,तिमिर से जूझने…
प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************* हरि सों हरि-कृपा मांगो हरि-भजन को।काटो न यूँ व्यर्थ समय देह-तजन को॥ चतुर बन हरि सों हरि को मांग लो,न मिल पाए दान-पुण्य करो…
कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** जरा रुक ऐ मनुष्य,किसलिए दौड़ लगाते हो ?क्षणिक सुख पाने के लिए,क्यों अपना सर्वस्व गवाते हो ?इसलिए, ऐ मनुष्य जरा रुक… जरा रुक विश्राम कर,अपने अंतर्मन…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* भादव माह की बारिश सुन्दर,मन हुआ चंचल नजारे देख करहै भीगी काया रोमांच सजन,भरे हृदय प्रीत आलिंगन चिन्तन। भीगीं मतवाली चारु आँख युगल,पलकों से…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ अब संवेदनाएं शून्य और उनका मूल्य धराशाई हो रहा है,समाज की सोच व नजरिए को बदलना होगाफिर हाथों में तलवार लेकर बेटियों को निकलना ही…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** काले-काले कजरारे नयन को सँवार कर,कान्हा को कहाँ-कहाँ खोज आई राधिका। खोज-खोज खरी-खरी बातन को बोलि-बोलि,ग्वालन और गोपिन को सुनाय आई राधिका। चार-चौबारा देखा छत और दुआरा…
डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* प्रकृति सिखाये जागना,शक्ति भरी हो भावनाबचाओ निज जिंदगी,साँसें स्त्री निज साधना। जागे निज बल सांवरी,कृष्ण कहे उठ द्रोपदी।आस कभी ना राखनाद्वंद नहीं ये आखिरी॥ परिचय- डॉ.आशा…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* ऊपर नील गगन, नीचे धरा विशाल,बीच में इंन्द्रधनुष हरा, पीला, लाल। हरियाली से सजी है अपनी धरती,सुंदरता इसकी तो मन को है हरती। पहाड़ी…