दिल को भिगा रहे
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया- भिगा, गिरा, सता, बना, निभा, दिखा इत्यादि; रदीफ़-रहे, २२१ २१२१ २२२१ २१२ बरसात, बनके मिल गए, दिल को भिगा रहे।उनके खयाल, आँख से बूंदें गिरा रहे। घड़ियाँ नसीब से बनीं, पलभर का चैन था,चैनो-करार मिट गया, दिल को सता रहे। इक आग है लगी हुई, तड़पा करे है दिल,आएं, … Read more