अँधियार हटाता चल तू

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हर अँधियार हटाता चल तू।दीपक एक जलाता चल तू॥ सूरज बनकर सदा चमकना,खुशबू बनकर सदा महकना।वातावरण बनाता चल तू,हर अँधियार हटाता चल तू…॥ दुनिया का है चलन निराला,नहीं यहाँ खुश होने वाला।सबको ये समझाता चल तू,हर अँधियार हटाता चल तू…॥ लोभ मोह में फँसे हुए सब,गले-गले तक धँसे हुए सब।सारे फंद … Read more

कौन बचाये!

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** अर्थी लेटा पूत धरा का,बोलो उसको कौन बचाये!स्वागत करते घने अँधेरे,छूट गयी पीछे रोशनियाँ!कर्जे से पसरा सन्नाटा,रोज डराता ब्याजू बनिया!आँखों के आगे छाये हैं,आँधी बरसातों के साये!बोलो उसको कौन बचाये…॥ गुर्राते रोजाना उस पर,जन्तु सींग नाखूनों वाले!हाथों की रेखा को खायें,काले काले खूनी छाले!घूम रही जंगली आंधियाँ,कैसे उनसे फसल रखाये!बोलो उसको … Read more

माँ दे स्नेह समान

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ईश्वर का अवतार सार माँ,जीवन का आधार।निर्मल ममता नित्य बाँटती,देती निश्छल प्यार॥ नित्य करे परिवार सुरक्षा,अनुपम सारे काम,भाव धरे हर क्षण सेवा का,माँ ही चारों धाम।पालन का नित्य श्रेय उठाती,इससे ही उद्धार,ईश्वर का अवतार सार माँ,जीवन का आधार…॥ जीव धरे नौ माह कोख पर,मिले जन्म से नाम,दुग्ध धार से तृप्त करे … Read more

सच पूछो तनहाई है

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** दिल-दिमाग में जबसे दौलत,कूट-कूट कर छायी है।भीड़ भले ही आसपास है,सच पूछो तनहाई है॥ प्रतिस्पर्धा ये रेगिस्तानी,दौलत की मृगमरीचिका।तपते रिश्ते सूख रहे हैं,पता नहीं है पानी का॥प्रतिस्पर्धा को छोड़ें,बदलें,पर करे कौन अगुवाई है।भीड़ भले… ठाठ-बाट के साधन इतने,आकर्षित बाजार किये।‘सब-कुछ’ से झट घर भर लेवें,जागी आँखें स्वप्न लिये॥अहं भरा दीवानापन ये,इसकी ना … Read more

मोहित स्वयं है विराग

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ जागा री सखि अनुराग।जीवन की नदिया सींचे बह-बह के,यौवन की बगिया सावन-सी लहके।सपनों की कलियों के चिटके वदन से-फूटा सुनहला पराग। अँखियों की कोर आज झांके मन पपिया,ढूंढे क्षितिजवा के छोर रंग रसिया।सुख की अँधियारी दरारों के भीतर,उजला प्रभाती चिराग। खुशियों के मोर नचे मानस कगारे,आशा के छोड़ रही पावस फव्वारे।साँसों की झोंकों … Read more

मीरा थी बस श्याम दिवानी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* गीतों में मीरा का गायन,वंदन-अभिनंदन है।मीरा थी बस श्याम-दिवानी,जिसका अभिवंदन है॥ धारण कर बैरागी चोला,मंदिर किया बसेराबनकर के बैरागिन जिसने,पाया धवल सबेरा।लगा हुआजिसके माथे पर,अहसासों का चंदन है,मीरा थी बस श्याम-दिवानी,जिसका अभिवंदन है॥ बना हलाहल अमिय निमिष में,श्याम-राग रंग लायापहन गेरुआ वसन हर्ष से,जिसने भाव दिखाया।उस मीरा का नाम प्रेम,जो … Read more

जीवन की बन गई कहानी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ गीत बनाने बैठी थी पर,जीवन की बन गई कहानी।नीरव गगन गुंजाना था रे,अभिनव किसी गीत के स्वर सेलाना था बसन्त पृथ्वी पर,नवल कल्पनाओं के घर से।कुहू- कुहू कर गाना था पर,गा बैठी चातक की वाणी। ऊँची लहर उठाना थी नव,अविरल अपने मानस सर सेजिसे भरा था मैंने अपनी,सबल लालसा की गागर से।नूतन रीति … Read more

मंजिल से निज भटक रहा

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* लोभ मोह के भँवर में फँसा,सत्य कर्म पर अटक रहा।असंमजस में उलझा मानव,मंजिल से निज भटक रहा॥ अनाचार के बुरे कृत्य को,मूक देख चुपचाप खड़ा,श्रेष्ठ कर्म के पथ को भूला,मनुज द्वेष में आज पड़ा।स्वार्थ भाव को हृदय बसाता,सबके मन वो खटक रहा,लोभ मोह के भँवर फँसा,सत्य कर्म पर अटक रहा…॥ भाई … Read more

सुहानी भोर किरणों से…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** सुहानी भोर किरणों से,नया इक दिन हुआ रौशन।खिलीं कलियां बिछीं बूंदें,दिखें मोती सी ये बन-बन॥ अंधेरा रात भर का था,उजाला देखकर भागा,गईंं नींदें,खुली आँखें,पहर दिन का नया जागा।समय नूतन है पहरों का,गई हर नींद वादी से,लगे कितना सुहाना ये,नजारा भोर किरणों से।सुहानी भोर की किरणें…॥ उतरकर सूर्य की किरणें,चली … Read more

फिरता मैं मारा-मारा

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** पैसे की खातिर मंचों पर,क्यों फिरता मैं मारा-मारा।सब नोट धरे रह जाएंगे,जिस दिन फूटेगा घट प्यारा॥ मैं शहर-शहर में घूम रहा,फिर भी मेरा मन खाली है,ये भूख लगी जो पैसे की,दुर्बल मन की कंगाली है।बाहर से उजियारा दिखता,अंदर से काला धन रिसता,इक रोज साँस की डोरी से,छूटेगा तन का इकतारा,सब नोट … Read more