सावन बरखा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:१४ मात्रा (४ ४ ४ २) सावन बरखा आई है।शीतल जल भर लाई है॥नभ में बादल छाए हैं।पानी भर कर लाए हैं॥ तड़-तड़ बिजली चमके है।सुनकर…

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पावस ऋतु आई

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** विगत ग्रीष्म पावस ऋतु आई, चारों ओर फुहार।रिमझिम-रिमझिम बरसा पानी, बरसे जल की धार॥ गरज-गरज कर बादल बरसे, चमके बिजली तेज।प्यासी धरती प्यास बुझाए, बिछी सुमन…

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गुरु युगबोध

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* चमन जैसा,शिथिल कैसा,दूर पैसा,नव काम।गुरु सुहाये,ख़ूब भाये,जग जगाये,है धाम॥दोष मारे,गुण बुहारेे,दे सहारे,नव ज्ञान।है सुधा-सा,नित सधा-सा,जयघोष है,प्रतिमान॥ गुरु है फूल,हारे शूल,वह तो ईश,प्रवहमान।रच दे नया,नहिं बद…

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मानसून

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** मानसून मँडराते आये,भीषण जलद साथ लाए।गरज-गरज कर घिरी घटाएं,जल की धारा बरसाए॥ चातक कब से तरस रहा था,जो प्यासा जल कण पाने।मोर पपीहा बन में डोलें,हैं…

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गुरु की महिमा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* गुरु हिमराज,गुरु अधिराज,गुरु का रूप,ज्यों ईश।गुरु आगार,सद साकार,गुरु के चरण,नित शीश॥गुरु नित वेद,नहिं हो खेद,मिले सुरवर,यह चाह।गुरु दिनमान,गुरु पहचान,गुरु से मिले,नव राह॥ गुरुवर नमन,दु:ख का…

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भर आई हरियाली

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** वर्षा की रिमझिम बूंदों से,भर आई है हरियाली।खेत, बाग, वन, चरागाह सब,लदे हुए फल तरू डाली॥ भरे खेत सब धान मदीरा,हरे-भरे हैं दालों से।लौकी, कद्द्दू, ककड़ी…

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सावन आया, अब आओ

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** ओ मेघा रे… रचनाशिल्प:मात्रा भार १६/१४, पदांत २२/ बरसे बदरा रिमझिम-रिमझिम,सावन आया अब आओ।कितने सावन बीत गए हैं,अब तो साजन आ जाओ॥ भीगी चुनरी भीगा तन-मन,भीग…

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पिता आधार

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* सत्य ही तो एक बस आधार है।हों पिता जिस पथ वहीं परिवार है॥ आस है विश्वास सुंदर भावना।दे सदा खुशियाँ हमें शुभ कामना॥नींव होते हैं पिता…

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मन दौड़ता उस ओर क्यों ?

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हो शीत चाहे हिम,भयानक ताप भीषण गर्जना।मन दौड़ता उस ओर क्यों,होती जहां है वर्जना।पथ पूर्व पूर्वज चल सरल,जो मार्ग निष्कंटक किया।काँटे चले ना मन अगर,कैसे करे नव…

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गरीब

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** गरीबों की नहीं होती, कभी कोई दिवाली है,भरी हसरत हजारों हैं, मगर ये जेब खाली है।भले दिखता रहे चंदा, चमकता आसमानों में,मनेगी ईद पर उनकी,…

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