मन दौड़ता उस ओर क्यों ?
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हो शीत चाहे हिम,भयानक ताप भीषण गर्जना।मन दौड़ता उस ओर क्यों,होती जहां है वर्जना।पथ पूर्व पूर्वज चल सरल,जो मार्ग निष्कंटक किया।काँटे चले ना मन अगर,कैसे करे नव सर्जना। डरता नहीं अंकुश से,मन भयभीत हो ना भर्त्सना।चढ़ सफलता के शिखर करता,विषाद न-हर्ष ना।है पार कंटक मार्ग के,उस भाव में नव खोज है।मन धीर … Read more