स्वामी विवेकानंद
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* प्रखर रूप मन भा रहा, दिव्य और अभिराम।स्वामी जी तुम थे सदा, लिए विविध आयाम॥ स्वामी जी तुम चेतना, थे विवेक-अवतार।अंधकार का तुम सदा, करते थे संहार॥ जीवन का तुम सार थे, दिनकर का थे रूप।बिखराई नव रोशनी, दी मानव को धूप॥ सत्य, न्याय, सद्कर्म थे, गुरुवर थे तुम ताप।काम, क्रोध, … Read more