हरित भरित संसार
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* क्षिति जल पावक नभ अनिल, बना सकल संसार।बने प्रदूषित मनुज से, क्षत-विक्षत आधार॥ मानवता का मोल ही, समझे जब संसार।कुछ पल का अस्तित्व जन, व्यक्ति कीर्ति आधार॥ पृथिवी माँ जो उर्वरित, हरित भरित संसार।हत्यारा ख़ुद का मनुज, प्रकृति किया संहार॥ सावन की बरसात की, रिमझिम बूंद फुहार।सत्य मधुर संभाष … Read more