है सुहाग बहुत बड़ा वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* हर नारी नित माँगती,कायम रहे सुहाग।युगों-युगों पलता रहे,जीवन में अनुराग॥ नारी करवा पूजकर,माँगे यह वरदान।हे! माता देना सदा,पति को जीवनदान॥ नारी की खुशियाँ तभी,जब तक संग सुहाग।बिन सुहाग फुफकारता,तन्हाई का नाग॥ काया का सौंदर्य भी,चाहे सदा सुहाग।वरना हर श्रृंगार तो,हो जाते बेराग॥ सचमुच में अभिशाप है,नारी,बिन सिंदूर।हो जाता उल्लास तब,नारी … Read more

शिक्षा हो सब जन सुलभ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************ संविधान शिक्षा प्रजा,मिला मूल अधिकार।आलोकित शिक्षा मनुज,न्याय त्याग आचार॥ शिक्षा मिले समाज में,संस्कार परिवार।छल कपटी सत्तापरक,राजनीति गद्दार॥ धर्म जाति शिक्षा निहित,लोकतंत्र है आज।रोजगार भी जातिगत,बस नफ़रत आगाज़॥ दर-दर ठोकर खा रहे,शिक्षित उच्च सुपात्र।आरक्षण की मार से,तरुणाहत है गात्र॥ लोकतंत्र हो तब सफल,मिटे जाति अरु धर्म।सम्मानित शिक्षित गुणी,अभिनंदित हो कर्म॥ … Read more

रीति-प्रीति अनुपम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** करवा चौथ विशेष…. रीति-प्रीति अनुपम प्रथा,करवा का उपवास।आज हुआ प्रियतम सफल,प्रिया प्रेम अहसास॥ शतंजीव सारोग्य हो,कीर्ति जगत प्रख्यात।सात जन्म का साजना,प्रीत मिलन सौगात॥ सज़ा थाल कुमकुम फलक,दीप जला ले हाथ।लाल वसन सज आभरण,नवयौवन का साथ॥ रचा हाथ में मेंहदी,बाजुबन्ध सज बाँह।माँग सजा सिन्दूर से,चिर सुहाग मन चाह॥ चारु चरण … Read more

उठा सुदर्शन चक्र फिर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** यायावर समझो सरित,तीर जलधि हो दूर।प्रवहमान सत कर्मपथ,कभी न हो मज़बूर॥ पारस मणि है आत्मबल,पाञ्चजन्य है धीर।साहस है रक्षा कवच,जीवन रण गंभीर॥ शरशय्या पर लक्ष्यपथ,शोणित रंजित राह।भीष्म बनो तुम त्याग सच,जीए जब तक चाह॥ फॅंसा चक्र के व्यूह में,महारथी फिर एक।लूट घूस कायर छली,आतंकी बन नेक॥ कवि निकुंज शोकार्त … Read more

फैला दो माँ फिर उजियार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** नवरात्र विशेष….. दुर्गा माँ तुम आ गईं,हरने को हर पाप।संभव सब कुछ आपको,तेरा अतुलित ताप॥ बढ़ता ही अब जा रहा,जग में नित अँधियार।फैला दो माँ वेग से,तुम अब फिर उजियार॥ भटका है हर आदमी,बना हुआ हैवान।हे माँ! दे दो तो ज़रा,तुम विवेक का मान॥ सद्चिंतन तजकर हुआ,मानव गरिमाहीन।दुर्गा माँ दुर्गुण … Read more

मार्ग अहिंसा विजय पथ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** सत्य-अहिंसा नीति रथ,आज़ादी की क्रान्ति।बुद्ध जैन गाँधी तिलक,कोटि-कोटि पथ शान्ति॥ शील त्याग गुण कर्म का,मानक था जो लोक।सत्य-अहिंसा सारथी,गाँधी थे आलोक॥ सत्य-अहिंसा प्रीत बिन,भौतिक नित संसार।हिंस्र भाव मिथ्या छली,विश्व मनुज आचार॥ दया धर्म करुणा हृदय,सदाचार तप स्नेह।पथिक अहिंसा बुद्ध बन,मुक्ति सुखी जग धेय॥ समरथ को नहि दोष है,पातक को … Read more

तर्पण करो,पाओ आशीष

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) **************************************** पितृ पक्ष विशेष…… तर्पण पुरखों का करो,पाओ तुम आशीष।नहीं झुकेगा शीश प्रिय,दया करें जगदीश॥ पुरखे मंगल भाव रख,आते हैं इहलोक।तर्पण से पा नेह वे,परे हटाते शोक॥ तर्पण में तो धर्म है,अपनों का सम्मान।तर्पण से संस्कार भी,करते हैं यशगान॥ तर्पण पावन कर्म है,पुरखों की है याद।तर्पण से हटता सदा,जीवन का अवसाद॥ … Read more

बड़ा बहादुर लाल था

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************************** अंतर्मन स्वाधीनता,सत्य अहिंसा मंत्र।शास्त्री गांधी शिष्य गुरु,हिला ब्रिटिश खल तंत्र॥ तन मन धन अर्पण वतन,सत्याग्रह पथ क्रांति।आज़ादी अरमान बस,सुख वैभव बल शान्ति॥ मुक्ति मिली पराधीनता,भारत हुआ स्वतंत्र।संविधान गणतंत्र बन,गांधी सच पथ मंत्र॥ खुशियों की नव अरुणिमा,सुखद देश स्वाधीन।बन प्रकाश उन्नति वतन,सम समाज श्री हीन॥ शिक्षा सब जन हो सुलभ,मिटे … Read more

महात्मा गाँधी

अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************ बापू तेरे नाम का,बस करते हैं जाप।बातें सच की बोल के,करते नेता पाप॥ सच का चरखा बंद है,झूठों का है शोर।सत्य राह जो भी चले,वो कहलाते चोर॥ गाँधी तेरे देश में,ले कर तेरा नाम।लूट रहे हैं देश को,लगा रहे हैं दाम॥ जात-पात को छोड़ कर,लिए सभी को साथ।मिला नहीं है देश को,कोई … Read more

चलो बचाऍं नदी हम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** जल जीवन अनमोल है,गिरि पयोद नद बन्धु।तरसे नदियाँ जल बिना,जो जीवन रस सिन्धु॥ नदियों का पानी विमल,है जीवन वरदान।पूज्य सदा होतीं जगत,सिंचन खेत ज़हान॥ आकूल जग पानी बिना,नदी तडाग व कूप।जीव जन्तु निष्प्राण अब,भूख प्यास अरु धूप॥ नीर विषैला न बहे,सरिता निर्झर ताल।रहे स्वच्छ भू-जल नदी,वरना हो बदहाल॥ नदियाँ … Read more