‘माँ’ सच्ची सारथी

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ ‘माँ’ दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है। मैंने अपनी माँ को नहीं देखा, वह मुझे ४ साल की उम्र में छोड़ कर भगवान के घर चली गई थी, पर माँ को हमेशा अपने आसपास ही महसूस किया है। माँ का वात्सल्य, स्नेह, लाड़-प्यार, लोरी कहानी, मानो सभी एहसास से अपने … Read more

महाकुम्भ में बाप-बेटे का धर्म-कर्म

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ “अब फिर मेला शुरू होने वाला है।”“अरे बिट्टू यह मेला नहीं, महाकुम्भ है, जहां धर्म, आस्था व सनातन संस्कृति के दिग्दर्शन होंगे, इसे मेला मत बोलो।”“अच्छा यानी १२ वर्ष में एक बार लगने वाला महाकुम्भ स्नान है, जहां साधु-संत अमृत स्नान करते हैं। जहां अंतरंगी हिमाचल के घोर तपस्वी जो … Read more

नैसर्गिक सौन्दर्य से लुभाता रहा बस्तर

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** यात्रा वृतांत… मानव की मूल प्रकृति सदैव बंजारा या यायावर रही है। मानव एक स्थान पर अचल या स्थाई नहीं रह सकता, इसी प्रवृत्ति के वशीभूत वह आज पूरी धरती आकाश-पाताल छानते रहता है। और यही प्रवृत्ति जब कुलबुलाती है, तो हम सभी आज भी अपनी जिंदगी के जंजालों को कुछ दिन-सप्ताह-माह … Read more

महकती घाटी

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)*************************************** नाशिक से मुंबई जाना मेरे लिए किसी रोमांचक सफ़र से कम नहीं होता है। इसमें हर बार का मेरा अपना अलग-अलग रोमांचित कर देनेवाला अनुभव रहा है। सह्याद्री की मनोरम घाटियाँ, टेड़ी-मेड़ी नागिन-सी बल खाती सड़क और हर ऋतु में रोज बदलने वाला सह्याद्री का मौसम, सह्याद्री की रंग बदलती चोटियाँ … Read more

गाँव की साँझ

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)*************************************** इतवार को गाँव जाना हुआ, शाम को सोचा कि खेत पर चक्कर लगा लिया जाए। सांझ ढल रही थी, अस्ताचल का सिंदुरी सूरज आरक्त होकर पश्चिम की देहरी छू रहा था। मेड़ पर खड़े होकर मैंने देखा कि १०-१२ मयूरों की टोली अपने मस्तीभरे अंदाज में कटे हुए गेहूँ के खेत … Read more

जिन्दगी का ‘नया मोड़’

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** बचपन में मैं खाने की बेहद शौकीन थी। मेरी फ्रॉक की दोनों जेबें चिलगोजे, बादाम और किशमिश से भरी रहती थीं। मक्खन, घी और मलाई खाने की बेहद शौकीन थी, लेकिन जब चीन ने १९६२ में भारत पर आक्रमण किया तो जिंदगी ने एकदम नया मोड़ ले लिया।बचपन में महाराणा प्रताप की … Read more

परिवार की सांस्कृतिक प्रेरणा ‘अम्मा जी’

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** मेरी नई-नई शादी हुई थी। जीवन में पहली बार मैंने करवाचौथ का निर्जला व्रत रखा था। पूजा करने के लिए तैयार हुई तो अम्मा बार-बार मुझे देख कर बताती रहीं…” नथ पहनना ज़रूरी होता है। देखो बिन्दी तिरछी है, ठीक कर लो। कान वाले झाले काहे नहीं पहिने ?”उजबक ढंग से … Read more

एक दुर्घटना…

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** आज भी जब मैं वह दुर्घटना याद करती हूँ, तो मेरा मन विचलित हो जाता है, पर जहाँ अपना कोई वश नहीं; वहाँ हम लाचार हो जाते हैं और बस दृष्टा की तरह सब कुछ देखते रहते हैं। बात उन दिनों की है, जब हम रेलवे कॉलोनी में रहते थे। पापा रेलवे … Read more

प्रकृति की अनुपम छटा

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** हमारा प्यारा जबलपुर (मप्र), ब्याह के बाद का लगभग ३० वर्ष का समय यहाँ बीता। बड़ा ही सुखद अनुभव रहा इस जगह के विषय में हमारा। सबसे पहली बात तो यह रही कि यहाँ के लोग बड़े सीधे-सादे हैं, जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं।चाहे किसी से भी आप सहायता माँगिए, … Read more

एक श्वांस की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू ?

डॉ. विकास दवेइंदौर(मध्य प्रदेश ) ******************************************** आप कहेंगे एक अत्यंत गंभीर शब्द श्वांस के साथ ‘रमेश बाबू’ जैसा फिल्मी संवाद जोड़कर मैं क्यों आखिर एक गंभीर विषय को हास्य का विषय बनाना चाहता हूँ ?, किंतु अपना भ्रम दूर कर लीजिए क्योंकि, यह संवाद भी किसी हास्य का विषय नहीं, बल्कि अत्यंत गंभीर चिंता और … Read more