दिल अपना दोस्ताना रख
कैलाश भावसार बड़ौद (मध्यप्रदेश) ************************************************* दिल अपना दोस्ताना रख, दोस्तों से मिलना-मिलाना रख। यूँ ही नहीं कोई बन जाता अपना, दिल में किसी के ठिकाना रख। जहाज के पंछी को…
कैलाश भावसार बड़ौद (मध्यप्रदेश) ************************************************* दिल अपना दोस्ताना रख, दोस्तों से मिलना-मिलाना रख। यूँ ही नहीं कोई बन जाता अपना, दिल में किसी के ठिकाना रख। जहाज के पंछी को…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'आत्मजा' खंडकाव्य से अध्याय-६ वन मयूर को रहा न जाता, बिना बुलाये अपना दर्शक रंग-बिरंगे पंख खोल कर, किसे दिखाये नृत्य प्रदर्शक। चातक किसे सुनाये अपनी,…
भानु शर्मा ‘रंज’ धौलपुर(राजस्थान) ***************************************************************** माँगता हूँ मैं शिवा से,साथ तेरा ओ प्रिये, जिंदगी की साँस मेरी,मीत है तेरे लिये। थाम के तू हाथ मेरा,जिंदगी की चल डगर, मैं मुसाफिर…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** जल में ही है शक्ति जगत की, जल से ही है तृप्ति जगत की। जल ही कल है जीव जगत का, जल ही जीवन दान॥…
सुरेश जजावरा ‘सुरेश सरल’ छिंदवाड़ा(मध्यप्रदेश) ****************************************************** नदी को माँ कहें बहना कहें,बेटी बना दें हम। बहुत प्यासी बहन मेरी,इसे पानी पिला दें हम। बने भागीरथी शिव की,जटाओं से बहे गंगा,…
संजय गुप्ता ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* किसी चाह में,अनजान राह में पड़ा रहा मैं बनकर पत्थर, कोई कदरदान,लेगा मुझे पहचान तराश देगा मुझको थोड़ा। पर सब पाषाण,बन गये महान जब उस…
अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** नारी का मुश्किल जीवन नर का सामर्थ्य बढ़ाएगा, सहनशक्ति की सबल मूर्ति से कौन भला टकराएगा। कभी सफलता को पाकर मदहोश नहीं होना यारों, लाख…
डॉ.रामावतार रैबारी मकवाना 'आज़ाद पंछी' भरतपुर(राजस्थान) ************************************************************************************************ आज भी लोग सरेआम दहेज़ लेते हैं, पर वो नालायक है बेटी वाले जो दहेज़ देते हैं फिर जिंदगीभर लोगों के सामने रो-रोकर…
बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान- २२ मात्रिक छंद-१२,१० मात्रा पर यति, यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल अनिवार्य, चरणांत में गुरु (२),दो-दो चरण समतुकांत हों, चार चरण का एक…
मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ कोटा(राजस्थान) **************************************************************** इंतजार के एक-एक पल कितने मीठे होते हैं, जिनमें तुम होती हो और होती है तुम्हारी मीठी यादें, तुम्हारे दिल से निकले बेबाक शब्द जो…