नारी तेरी अमर कहानी

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** जो समझो तो कविता हो, बूझो तो अमर कहानी हो। नारी तुम त्याग समर्पण, करती बलिदान जवानी हो। नारी!तुम श्रद्धा समर्पण जीवन, सृष्टि जीवन…

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तू ही तू

सुषमा दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** धीर है तू सत्य है तू खौलता उफान है, तू अर्चना आराधना तू भक्ति का वरदान है। प्रचंड तू अखंड भी तू ही शक्तिमान है, भैरवी…

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ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति

प्रणिता राकेश सेठिया ‘परी’ रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************************************* ईश्वर ने बनाई ये विराट सृष्टि, जीवंत किया फिर ये संसार। सोचा-समझा फिर महसूस किया, कहाँ है इसमें निस्वार्थ प्यार...? अपने पाक उन्नत विचारों…

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कन्हैया

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ श्याम ऐसे बसो मेरे मन में, कोई ढूँढ सके ना तुझे हममें। श्याम ऐसे बसो...॥ जैसे समुन्दर में मोती होते हैं, पर नज़र…

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नारी

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* नारी प्रथम गुरु है सृष्टि उससे शुरू है, सृष्टा की आद्या सृष्टि है स्त्री का मान कीजिए। नारी देवी का है रूप नारी के हैं…

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दार्शनिकता

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** दार्शनिक की दार्शनिकता से,दैत्य सारे जल रहे, गले ना उनकी दाल तो वे,इधर-उधर उछल रहे। दार्शनिक के दर्शन का,वे सामना ना कर सके, खड़ा होना…

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जब ज़मीर शरमाया मेरा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* कोई दो कदम तो साथ रहे मेरे भी, इस उम्मीद में खोजता रहा वह चेहरा। संग चलने को मेरे जो तैयार हुआ, वह फकत साथ…

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सरस्वती वंदना

दीपेश पालीवाल ‘गूगल’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************** जय हो माँ शारदे माँ मेरी शारदे, हर ले मन के तिमिर को,मुझे ज्ञान दे...। कामना मेरी इतनी सी है मेरी माँ, सत्य को…

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आँचल

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** रिपुता का चलता नहीं, उस पर कोई दाँव। माँ जिसके सिर पर करे, नित आँचल की छाँव॥ हो आँचल की रोशनी, बिन बाती बिन तेल।…

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अर्थहीन पुरुषत्व धरा पर

कैलाश भावसार  बड़ौद (मध्यप्रदेश) ************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… अर्थहीन पुरुषत्व धरा पर,यदि साथ नहीं नारी है, नहीं अर्थ जग की माया का,भले संपदा सारी है। अर्धनारी ईश्वर बन…

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