सावन…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ मनभावन- मस्ती भरा मौसम, यह सावन। सावन आया- मिट्टी की सौंधी-सौंधी, महक लाया। कली मुस्काई- काली-काली घटायें, नभ में छाई। थोड़ा झूम लें-…

0 Comments

सपनों की दुनिया..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ कभी हँसाती- सपनों की दुनिया, कभी रुलातीl कोई रूठता- कोई मझधार में, साथ छोड़ताl कभी उठाती- ख़्वाबों की हक़ीकत, कभी गिरातीl ख़्वाबों में…

0 Comments

जल जीवन

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** जल जीवन, कल का ये आधार- बचाएं सब। नदिया पेड़, सबको बचाना है- भविष्य बनें। जीवन जीते, नहीं तो अब हारेंगे- बिना नीर के। सूखा पड़ेगा,…

0 Comments

संसार…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सारा संसार- कभी-कभी लगता, मुझे असार। धूप या छाया- यह सब है यारों, प्रभु की माया। गोरखधंधा- मज़हबी रंग में, रंगी दुनिया। कैसा…

0 Comments

सच का वृक्ष

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** सच का वृक्ष, सूखने लगा आज- संभल जाओl अपनों बीच, कितने धोखेबाज- ध्यान लगाओl जरूरत है, झूठ का पूर्णनाश- आगे तो आओl सच…

0 Comments

बरसो मेघा रे….

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखी है धरा- बरसो रे ओ मेघा... कर दो हरा। सूखे हैं ताल- कर दो हरियाली... भूखे हैं बाल। वन पुकारे- बढ़ता रेगिस्तान...…

0 Comments

रखना ध्यान…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ करना मान- बुज़ुर्ग माँ-बाप का, रखना ध्यान। करोगे सेवा- निःस्वार्थ भावना से, मिलेगा मेवा। रखना ख़ुश- भूल कर मत दो, कोई भी दुःख।…

0 Comments

पिता ही प्रतिष्ठा

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* १६ जून `पितृ दिवस’ विशेष… पिता पालक, घर के संचालक- मान दीजिए। पिता ही ज्ञान, छाया है अनमोल- साथ दीजिए। पिता ही आन, पिता ही…

0 Comments

पावन गंगा..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ मन है चंगा- हर घर-घर में, कटौती गंगा। निर्मल नीर- हर पल कहता, मन की पीर। पावन गंगा- पापों को धोते-धोते, हो गई…

0 Comments

धरा की पीर…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखता नीर- कौन समझता है, धरा की पीर। कटते वन- धरती में दरारें, झुलसे तन। बने जंजाल- चारों तरफ उगे, कंक्रीट जाल। व्यर्थ…

0 Comments