निर्मल कुमार जैन ‘नीर’
उदयपुर (राजस्थान)
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कभी हँसाती-
सपनों की दुनिया,
कभी रुलातीl
कोई रूठता-
कोई मझधार में,
साथ छोड़ताl
कभी उठाती-
ख़्वाबों की हक़ीकत,
कभी गिरातीl
ख़्वाबों में झूली-
आज की युवा पीढ़ी,
ख़ुद को भूलीl
सत्य से दूर-
सपनों में उलझा,
है मज़बूरl
परिचय–निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित हिरणमगरी (राजस्थान)एवं स्थाई गोरजी फला ऋषभदेव जिला-उदयपुर(राज.)है। आपने हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर किया है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक का है। सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं। श्री जैन की लेखन विधा-हाइकु,मुक्तक तथा गद्य काव्य है। लेखन में प्रेरणा पुंज-माता-पिता और धर्मपत्नी है। रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध व प्रचार-प्रसार करना है।