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पिता ही प्रतिष्ठा

अजय जैन ‘विकल्प
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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१६ जून `पितृ दिवस’ विशेष…
पिता पालक,
घर के संचालक-
मान दीजिए।

पिता ही ज्ञान,
छाया है अनमोल-
साथ दीजिए।

पिता ही आन,
पिता ही मेरी शान-
ज्ञान लीजिए।

पिता हैं प्यार,
घर का संस्कार-
प्रेम कीजिए।

पिता से जन्म,
पिता सच्चे देवता-
पितृ पूजिए।

भला सोचते,
कटु दिखते पिता-
शान बनिए।

जानो पिता को,
पिता ही संस्कार-
नाम दीजिए।

पिता मुस्कान,
भविष्य ज्योति जले-
प्रेम दीजिए।

पितृ छाया में,
सँवारिये खुद को-
न रुलाईए।

पिता समाज,
पिता ही प्रतिष्ठा-
पाँव पूजिए।

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