कुल पृष्ठ दर्शन : 123

पावन गंगा..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ 
उदयपुर (राजस्थान)
************************************************************
मन है चंगा-
हर घर-घर में,
कटौती गंगा।

निर्मल नीर-
हर पल कहता,
मन की पीर।

पावन गंगा-
पापों को धोते-धोते,
हो गई मैली।

अमृत भरा-
गंगा प्रधान तीर्थ,
पुण्य की धरा।

करो उद्धार-
गंगा तेरी महिमा,
अपरम्पार।

परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित हिरणमगरी (राजस्थान)एवं स्थाई गोरजी फला ऋषभदेव जिला-उदयपुर(राज.)है। आपने हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर किया है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक का है।  सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं। श्री जैन की लेखन विधा-हाइकु,मुक्तक तथा गद्य काव्य है। लेखन में प्रेरणा पुंज-माता-पिता और धर्मपत्नी है। रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध व प्रचार-प्रसार करना है। 

Leave a Reply