न्यू मीडिया में हिंदी सामग्री में उल्लेखनीय प्रगति

डॉ.शैलेश शुक्लाबेल्लारी (कर्नाटक)**************************************** नवीन संचार तकनीकों की क्रांति ने जिस प्रकार से वैश्विक स्तर पर संवाद और अभिव्यक्ति के स्वरूप को परिवर्तित किया है, उसी परिवर्तन ने भारत जैसे बहुभाषिक देश की प्रमुख भाषा ‘हिंदी’ को भी एक नई पहचान और नई शक्ति दी है। पहले जहाँ हिंदी को पारंपरिक मीडिया-जैसे रेडियो, दूरदर्शन और प्रिंट … Read more

पांडेय जी के हसीन सपने और बदलती दुनिया

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** पांडेय जी अचानक से बौद्धिक हुए, जब उनके मन में विचार आया कि हाथी के दांत खाने के और दिखावे के और हुआ करते हैं; उन्होंने यह भी मान लिया कि दुनिया आपसे कहीं ज्यादा और मोल-भाव किए रखती है कि किससे क्या मिल जाए और कहाँ तक मिलने की संभावना है। वे … Read more

आतंकवाद में डिजिटल तकनीकों का बढ़ता उपयोग चिन्ताजनक

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** आतंकी वित्तीय मदद पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की नई रिपोर्ट में आतंकवादी गतिविधियों में डिजिटल तकनीकों के बढ़ते उपयोग पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट ने वैश्विक सुरक्षा के समक्ष एक नई और गहन चुनौती की ओर संकेत करते हुए आतंकवादी गतिविधियों में डिजिटल तकनीकों … Read more

परिवार का अपना हो

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ ८० वर्षीय गायत्री जी विशाल जर्जर कोठी के एक हिस्से में अपने पुराने नौकर दीनू काका और उनकी बेटी सुमित्रा के साथ रहती हैं। लगभग १ महीने पहले उनके शरीर का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है। उसके बाद से वह अपना काम भी नहीं कर पातीं… पैसा तो बैंक में उनके … Read more

जरूरी है रिश्तों के बाग को सींचना

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** कहाँ खो गया रिश्तों से प्रेम…? भारत और भारतीय रिश्तों के ताने-बाने में जन्म के साथ जुड़ जाते है और मृत्यु और मृत्यु के बाद तक भी आपसी रिश्तों में याद किए जाते हैं। परिवार भारतीय समाज की सबसे छोटी इकाई और इससे हमारी प्रथम पहचान समाज में बनती … Read more

जूते की महिमा

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** बचपन में हमें बताया गया था कि जूता पैर में पहनना जरूरी है, क्योंकि जूता पैर की सुरक्षा करता है। कुछ बड़े होने पर जब हम घर में कोई काम नहीं करते थे, या बड़ों का कहना नहीं मानते थे, तब ये आवाज सुनाई देती थी-‘जूते खाने हैं क्या … Read more

भारतीय लोकतंत्र करे पुकार-‘मिले अपनी भाषा में न्याय का अधिकार’

पूनम चतुर्वेदीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)********************************************** भारतीय संविधान का प्रस्तावना वाक्य-“हम भारत के लोग…” – न केवल इस देश की संप्रभुता और लोकतंत्र का परिचायक है, बल्कि यह उस जनभावना की पुष्टि करता है, जो भारत को उसकी विविध भाषाओं और संस्कृतियों के माध्यम से जीवंत बनाती है। इस विशाल बहुभाषिक राष्ट्र में जहाँ सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ … Read more

अविस्मरणीय बरसात

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मैंने शासकीय महाविद्यालय गुना में बीएससी प्रथम वर्ष में १९७६ में प्रवेश लिया था। चूंकि, मैं छोटी जगह से जिला मुख्यालय पर पहुंचा था, तो काफी डरा हुआ था। संकोच में भी था, पर मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा था, और अच्छे संस्कारों में पला था इसलिए मुझमें एक आत्मविश्वास भी … Read more

कौन-कौन मराठी, कौन पर-प्रांतीय ?

डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** महाराष्ट्र में भाषा विवाद… भारत की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इतिहास गवाह है कि विश्व में अलग-अलग देशों से लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से भारत में पहुंचे, बसे और भारत में ही रच – बस गए। बहुत बार शक, हूण तथा इस्लामिक आक्रमणकारियों आदि की … Read more

मराठी बोलना गर्व की बात, लेकिन हिन्दी से घृणा क्यों ?

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** महाराष्ट्र में भाषा विवाद… अपनी स्थापना से ही भारत विविधताओं का देश बना हुआ है, और भाषा इसकी सबसे खूबसूरत विशेषताओं में से एक है। इसलिए यहाँ अनेकता के बावजूद एकता है, चाहे फिर कोई भी मुद्दा हो, यानी कभी अपने को श्रेष्ठ बताकर किसी अन्य को बुरा नहीं कहा गया, … Read more