‘विद्या’ को वास्तविकता और नैतिकता से जोड़ना आवश्यक
धर्मेंद्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)******************************************** शास्त्रों में वर्णित वाक्य के अनुसार विद्याधन सब धनों में श्रेष्ठ है। सही कहा गया है कि अन्य धन चुराए जा सकते हैं, परंतु विद्या धन को कोई नहीं चुरा सकता। आज के बदलते आधुनिक परिवेश में विद्या धन भी डिग्रियों तक सीमित हो गया है। आज के छात्र केवल … Read more