अनिश्चित भविष्य से दुःखी युवाओं की चिंता करें सरकार

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** पिछले कुछ दशकों तक यह मान्यता रही कि जीवन की मध्य आयु वर्ग (४०-५० वर्ष) के लोग ही सबसे अधिक अवसादग्रस्त, तनावग्रस्त, क्रोधित और दुखी होते हैं। युवावस्था और बुजुर्गावस्था अपेक्षाकृत अधिक प्रसन्न और संतुलित मानी जाती थी, लेकिन हाल के वैश्विक अध्ययनों ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। … Read more

हिंदी राष्ट्रभाषा: चुनौतियाँ हैं, पर सूरज निकलेगा

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ आज से ७ दशक पूर्व १४ सितंबर १९४९ को हिंदी भाषा को संविधान की राजभाषा के रूप में स्वीकृत किया गया… उसी दिन की स्मृति में पूरे देश में ‘हिंदी दिवस’ और ‘हिंदी पखवाड़ा’ मनाया जाता है, जिसमें प्रत्येक वर्ष हिंदी के उत्थान के विषय में बड़ी-बड़ी कार्यशाला और भाषण प्रतियोगिता आदि … Read more

प्रकृति की नाराजगी समझिए, वरना…

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** प्रकृति अपनी उदारता में जितनी समृद्ध है, अपनी प्रतिशोधी प्रवृत्ति में उतनी ही कठोर है। जब तक मनुष्य उसके साथ ताल-मेल में रहता है, तब तक वह जल, जंगल और जमीन के रूप में वरदान देती है, लेकिन जैसे ही मनुष्य अपनी स्वार्थपूर्ण महत्वाकांक्षाओं और तथाकथित आधुनिक विकास की अंधी दौड़ में … Read more

‘विक्रम’ से हौसलों की उड़ान भरता भारत

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** भारत ने तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया इतिहास रचते हुए अपना पहला पूर्णतया स्वदेशी ३२-बिट माइक्रो प्रोसेसर तैयार कर एक तकनीकी क्रांति को आकार दिया है। यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का भी प्रतीक है। भारत ने इस तकनीकी क्रांति की तरफ कदम … Read more

पूर्वजों की स्मृति में किए श्राद्ध का महत्व

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** श्राद्ध पर्व, पितृपक्ष या कनागत-बचपन में हमारे लिए श्राद्ध का मतलब होता था ढ़ेर सारे व्यंजन और खीर बनना एवं छककर खाना।हमने बचपन से ही अपने मायके में पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देते हुए (श्राद्ध होते हुए) देखा है। पहले मामा जी के यहाँ देखा। वे पितृपक्ष में हमारे नाना और … Read more

महा-लेखनिक गजानन

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* इन दिनों हम गणपति के उत्सव का आनंद मेला मना रहे हैं। अच्छे- खासे दस दिनों तक बाल गणेश के आगमन का यह उत्सव हम बड़े ही लाड़, प्यार, अनुराग और धूम-धाम से मनाते हैं। क्या रौनक, क्या भक्ति गीत, क्या मोदक और लड्डू खिलाए जाते हैं उन्हें सुबह-शाम! लक्ष्य बस … Read more

आभासी खेल:बड़ी कार्रवाई जरूरी, नियंत्रण कानून सराहनीय

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** अन्तरजाल के विस्तार ने आधुनिक दौर में जीवन को अनेक सुविधाएं दी हैं, लेकिन कुछ नए गंभीर संकट भी पैदा किए हैं। इनमें सबसे गंभीर संकटों में से एक है ऑनलाइन खेल या कहें तो मनी गेमिंग की बढ़ती लत। यह सच है कि खेल, मनोरंजन का साधन हो सकता है, पर … Read more

चीन-भारत के बेहतर संबंधों से नयी विश्व संरचना संभव

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत पर अगर दुनिया भर की नजरें टिकी थीं तो यह उद्देश्यपूर्ण एवं वजहपूर्ण थी, क्योंकि बदलती दुनिया में हाथी और ड्रैगन का साथ-साथ चलना जरूरी हो गया है। दोनों शीर्ष नेताओं की … Read more

दोष

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ ट्रिंग… ट्रिंग…“काव्या, हम लोग अपना प्रि-वेडिंग शूट गोवा में कराएंगें।”“नलिन, पापा राजी नहीं होंगें… कहीं इधर शिवपुरी के आस-पास ही करवा लो।”“प्रिवेडिंग शूट लाइफ में एक ही बार होता है। इसलिये कम से कम तुम लोगों को मेरी फीलिंग्स का ध्यान तो रखना ही चाहिए। मैंने गोवा डिसाइड कर लिया है। अब … Read more

‘राधाष्टमी’ प्रेम के शाश्वत आदर्श का उत्सव

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** भारतीय संस्कृति में प्रेम का चरम रूप यदि कहीं मूर्त होता है, तो वह राधा और कृष्ण के संबंध में। जब हम राधाष्टमी के पावन अवसर पर राधा को स्मरण करते हैं, तो यह केवल किसी देवी के जन्म का उत्सव भर नहीं है, बल्कि यह प्रेम के उस शाश्वत … Read more